अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं गुरूः मुख्यमंत्री डॉ. यादव
10-Jul-2025 12:00 AM 494

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि गुरू हमें अज्ञानता के अधंकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं। भारतीय संस्कृति में गुरू को ईश्वर के समान माना गया है। गुरू का शिक्षा का प्रकाश ही जीवन को सही दिशा दिखाते हैं। इस दिन शिष्य अपने गुरूओं का पूजन करते हैं, उनके चरण वंदन कर आशीर्वाद लेते हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों में 10 जुलाई से 2 दिवसीय गुरू पूर्णिमा के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। गुरू पूर्णिमा उत्सव कार्यक्रम में जिले के स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं प्रबुद्ध नागरिकों, गुरूजनों एवं साधु-संतों की भागीदारी रहेगी। गुरू पूर्णिमा का दिन गुरू-शिष्य परंपरा की समृद्ध विरासत के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने दिन का है। प्रदेश में अनेक शिक्षक हैं जिन्होंने अपने उल्लेखनीय कार्य से विद्यार्थियों के साथ समाज में भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है।

मध्यप्रदेश में सिंगरौली की एक शिक्षिका ने अनोखी पहल कर शिक्षा का प्रकाश घर-घर तक पहुँचाया। सिंगरौली के शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैढ़न में पदस्थ माध्यमिक शिक्षिका सुश्री ऊषा दुबेने एक स्कूटी को ‘चलती-फिरती लाइब्रेरी’ में बदलकर मोहल्लों और गांवों में बच्चों तक किताबें पहुँचाईं। बच्चों ने उन्हें प्यार और आदर से किताबों वाली दीदी कह कर सम्मान दिया। उनके इस अभिनव प्रयास की सराहना स्वयं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीअपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कर चुके हैं।

सुश्री ऊषा ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि स्कूलों के बच्चे ताजे कमल के फूल लेकर घर आये, बच्चों की भावना को समझकर उनका भरोसा बनाये रखने के लिए मैने अपने अध्यापन को क्लास-रूम से बाहर निकाल कर चलता-फिरता पुस्तकालय बना दिया। इससे बच्चे खुश हो गये उन्हें खुश देख कर मुझे बच्चों को निरंतर पढ़ाई से जोड़े रखने के लिये स्कूटी पर चलता-फिरता पुस्तकालय जारी रखने की प्रेरणा मिली। वे बताती है कि मैंने गांव-गांव जाकर बच्चों को रीडिंग हेबिट्स से जोड़े रखा है मेरे लिये वह गौरव का क्षण था जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस प्रयास का जिक्र अपने मासिक कार्यक्रम "मन की बात" में किया। सुश्री ऊषा ने बताया, “इसके बाद मैने गांवों में स्वच्छता-जागरुकता के लिये साबुन बैंक बनाया। मेरे पुस्तकालय से जुड़े बच्चों ने अपने जन्मदिन के मौके पर साबुन दान करना शुरू किया, तब लगा कि शिक्षा से संस्कार के साथ आदतें भी बदली जा सकती हैं। बच्चों का उत्साह मुझे आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करता है।

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