अमेरिकी बांड यील्ड में तेजी से लुढ़का बाजार
22-May-2025 12:20 PM 2978
मुंबई, 22 मई (संवाददाता) अमेरिकी बांड यील्ड में तेज उछाल के दबाव में स्थानीय स्तर पर हुई भारी बिकवाली से आज शुरुआती कारोबार में घरेलू शेयर बाजार ढेर हो गया। बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 767.62 अंक यानी 0.94 प्रतिशत का गोता लगाकर नौ कारोबारी सत्र के बाद 81 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के नीचे 80,829.01 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 221.75 अंक अर्थात 0.89 प्रतिशत की भारी गिरावट के साथ 25 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे 24,591.70 अंक पर आ गया। कारोबार की शुरुआत होते ही सेंसेक्स 274 अंक लुढ़ककर 81,323.05 अंक पर खुला और खबर लिखे जाने तक 81,323.24 अंक के उच्चतम जबकि 80,727.11 अंक के निचले स्तर पर रहा। इसी तरह निफ्टी भी 80 अंक टूटकर 24,733.95 अंक पर खुला और 24,737.50 अंक के उच्चतम जबकि 24,541.60 अंक के निचले स्तर पर रहा। निवेश सलाह देने वाली कंपनी जियोजित इन्वेस्टमेंट लिमिटेड मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वी. के. विजयकुमार ने कहा, "वैश्विक वित्तीय बाजारों में फिलहाल हल्का जोखिम देखा जा रहा है, जो सोना और बिटकॉइन जैसी वैकल्पिक परिसंपत्तियों की मजबूती में स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रहा है। इसका मूल कारण अमेरिका का बढ़ता राजकोषीय घाटा माना जा रहा है, जिसे बाजार लगातार अस्थिरता का संकेत मान रहा है। हाल ही में अमेरिकी 20-वर्षीय बॉन्ड की कमजोर नीलामी और पांच वर्षीय, 10-वर्षीय और 30-वर्षीय बॉन्ड यील्ड में तेज उछाल ने अमेरिकी बॉन्ड बाजार में घटते निवेशक विश्वास को उजागर किया है। इसके साथ ही जापान में भी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी देखी गई है, जिससे वैश्विक निवेशकों की चिंता और गहराई है।" परंपरागत रूप से अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि उभरते बाजारों के लिए नकारात्मक संकेत मानी जाती रही है। लेकिन, इस बार स्थिति कुछ अलग है। विश्लेषकों का कहना है कि समस्या की जड़ अमेरिकी राजकोषीय घाटा और बढ़ता सार्वजनिक ऋण है। इस अस्थिरता के चलते निवेशक ऐसे बाजारों की ओर रुख कर सकते हैं जहां आर्थिक विकास और आय की संभावनाएं अपेक्षाकृत बेहतर हैं और भारत इनमें से एक हो सकता है। इस बीच घरेलू खपत से प्रेरित भारतीय कंपनियां बाजार में अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। इंटरग्लोब एविएशन और भारती एयरटेल की चौथी तिमाही के मजबूत परिणाम इस प्रवृत्ति के संकेतक हैं। जानकारों का मानना है कि यह ट्रेंड आगे भी जारी रह सकता है, खासकर उस स्थिति में जब वैश्विक पूंजी स्थिर और उच्च ग्रोथ वाले क्षेत्रों में शिफ्ट होती है।...////...
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