अनुच्छेद 370 पर फैसला निर्धारित करेगा कि भारत में शामिल होने का निर्णय सही था या नहीं: महबूबा
09-Aug-2023 07:18 PM 2931
श्रीनगर, 09 अगस्त (संवाददाता) पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को कहा कि अनुच्छेद 370 पर फैसला यह निर्धारित करेगा कि जम्मू-कश्मीर नेतृत्व द्वारा दो राष्ट्र सिद्धांत को अस्वीकार करना और धर्मनिरपेक्ष एवं लोकतांत्रिक भारत में शामिल होने का निर्णय सही था या नहीं। सुश्री मुफ्ती ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि वकील सर्वोच्च न्यायालय में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की अवैधता और असंवैधानिकता को उजागर कर रहे हैं। शीर्ष न्यायालय अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। सुश्री महबूबा ने संवाददाताओं से कहा कि वह इस बात से राहत महसूस कर रही हैं कि भाजपा-आरएसएस सरकार शीर्ष अदालत में इस प्रकार के गैरकानूनी कृत्यों के खिलाफ आवाज और दलीलों को दबाने में सक्षम नहीं होगी। उन्होंने कहा कि वह और उनकी पार्टी उस दिन से ही जम्मू-कश्मीर के लोगों की भावनाओं को आवाज देने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, जिस दिन राज्य के टुकड़े हुए थे और इसका विशेष दर्जा छीन लिया गया था। पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि हालांकि लोगों को क्रूर सत्ता का खामियाजा भुगतना पड़ा है जो लगातार असंतोष की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। सुश्री मुफ्ती ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में इस बात का खुलकर वर्णन किया जा रहा है कि कैसे तत्कालीन राज्यपाल ने खुद को विधान सभा के रूप में नियुक्त किया और उनके सलाहकारों ने मंत्रिपरिषद की भूमिका ग्रहण की। उन्होंने कहा कि यह व्यापक रूप से माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर की वास्तविक विधान सभा की सहमति के बिना केंद्र सरकार की पूरी प्रक्रिया स्पष्ट रूप से अवैध और असंवैधानिक थी। उन्होंने कहा कि ये बातें वह और उनकी पार्टी पहले दिन से कह रही हैं। सुश्री महबूबा ने कहा कि वह कार्यवाही देखने के लिए उच्चतम न्यायालय नहीं गई हैं क्योंकि उन्हें जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा अवैध रूप से निरस्त करने की दलीलों को सहन करना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में न्यायपूर्ण और निष्पक्ष फैसला देगा तथा जम्मू-कश्मीर के लोगों को न्याय प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि “मेरे लिए यह मुद्दा केवल वैधता और संवैधानिकता के बारे में नहीं है बल्कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की आस्था और आकांक्षाओं के बारे में है। यह एक ऐसा मामला भी है जो यह निर्धारित करेगा कि क्या हमारे नेतृत्व द्वारा दो राष्ट्र के सिद्धांत को अस्वीकार करना और हमारी पहचान तथा विशेष दर्जे की रक्षा करने के वादे पर एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक भारत में शामिल होने का निर्णय सही था।...////...
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