10-Sep-2021 03:14 PM
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दंतेवाड़ा जिले की झिरका की पहाड़ी पर लगभग 11वीं शताब्दी की गणेश जी की लगभग 3-4 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है। यह ढोलकल की पहाड़ी पर विराजे गणपति की प्रतिमा की तरह ही है। प्राचीन काल में इस प्रतिमा को यहां किसने स्थापित किया और इसके पीछे की पूरी कहानी क्या है? फिलहाल यह जानकारी अब तक किसी के पास नहीं है। हालांकि, इलाके के लोगों की बड़ी मान्यता इससे जुड़ी हुई है। ग्रामीण मानते हैं कि सदियों पहले पूर्वजों के समय स्थापित किए गए गणेश भगवान हमारी रक्षा करते हैं।
वहीं जिस इलाके में भगवान गणेश की ये प्रतिमा स्थापित है, वह इलाका पूरी तरह से नक्सलियों के कब्जे में हैं। लोगों को यहां तक पहुंचने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। तब जाकर बप्पा के दर्शन होते हैं। इस इलाके में जंगली जानवार भी बहुत हैं। बताया जाता है कि अब तक इस स्थान पर ज्यादातर इस पहाड़ी के नीचे बसे गांव भांसी और धुरली के लोग ही पहुंच सके हैं।
काले ग्रेनाइट से बनी भगवान गणेश की यह प्रतिमा बेहद आकर्षित है। इस ऐतिहासिक प्रतिमा के पीछे भी कई किवदंतियां जुड़ी हुई हैं। कइयों का मानना है कि, कई सालों पहले बस्तर राजा जंगल में जब शिकार के लिए जाते थे, उस दौरान वे गणेश जी के दर्शन कर ही निकलते थे। राजा की भी भगवान गणेश के प्रति बड़ी आस्था थी। इलाके के ग्रामीण अरविंद, दिलीप व मुकेश ने बताया कि, पूर्वजों के समय से झिरका की पहाड़ी में गणेश भगवान विराजमान हैं। साल में एक दो बार हम यहां जाकर पूजा अर्चना करते हैं। गणेश भगवान हमारी सारी मनोकामना पूरी करते हैं।
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