07-Jul-2023 08:38 PM
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श्रीनगर, 07 जुलाई (संवाददाता) केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने शुक्रवार को ‘बेघरों के लिए भूमि योजना’ का विरोध करने वाले राजनेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि इस योजना से कुछ लोगों को पीड़ा हुई है और वे लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
श्री सिन्हा ने किसी नेता का नाम लिए बिना कहा कि जिन लोगों ने सरकारी जमीन पर अपना और अपने रिश्तेदारों का घर बनाया है, उन्हें लगता है कि सरकारी संपत्ति पर सिर्फ उनका ही हक है।
उप-राज्यपाल ने श्रीनगर में शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर (एसकेआईसीसी) में राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव को संबोधित करते हुए कहा, “ जम्मू-कश्मीर सरकार समाज के गरीब वर्ग की सेवा के लिए समर्पित है। यह उन भूमिहीन नागरिकों को भूमि उपलब्ध करा रहा है, जिनकी अतीत में उपेक्षा की गई थी। ये लोग प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई (जी) के तहत पात्र हैं और जल्द ही उनका अपना घर होगा। ”
उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम का विरोध करने वाले लोगों को पता होना चाहिए कि ऐसी भेदभावपूर्ण व्यवस्था को 05 अगस्त, 2019 को समाप्त कर दिया गया था। उन्होंने कहा, “ अब हम एक संकल्प और एक लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं कि सरकारी संसाधनों पर सबसे गरीब, दलित, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आदिवासी समुदायों का पहला अधिकार हो। ”
जम्मू-कश्मीर सरकार ने हाल ही में पीएमएवाई के तहत घरों के निर्माण के लिए भूमिहीन परिवारों को पांच मरला भूमि आवंटित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने भूमिहीन लोगों की नीति और वर्गीकरण पर अपनी चिंताएँ उठाईं।
कश्मीरी अलगाववादी गुट ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) ने शुक्रवार को कहा कि 'बेघर लोगों' को जमीन देने की घोषणा से लोगों में 'गंभीर संदेह और चिंताएं' पैदा हुई हैं।
एपीएचसी ने एक बयान में कहा, “ इन 'बेघर लोगों' की पहचान और इस कदम के पीछे के इरादे संदिग्ध हैं क्योंकि पूरे मामले में स्पष्ट विसंगतियां और अपारदर्शिता है। ”
एपीएचसी ने कहा कि लोगों की चिंताओं को दूर करने और मामले को शांत करने के लिए, अधिकारियों को स्पष्ट करना चाहिए कि 'बेघर लोग' कौन हैं, जिन्हें यहां जमीन दी जाएगी और उनके वर्गीकरण के मानदंड क्या हैं।...////...