06-Jul-2023 06:39 PM
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नयी दिल्ली 06 जुलाई (संवाददाता) वैश्विक चुनौतियों के बावजूद वित्त वर्ष 2022-23 की अंतिम तिमाही के बेहतर प्रदर्शन से मार्च में समाप्त वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत की विकास दर हासिल होने से स्पष्ट हो गया है कि बेहतर वृहद आर्थिक प्रबंधन के बल पर भारत आज अन्य देशों की तुलना में अधिक तेजी से आगे बढ़ रहा है।
वित्त मंत्रालय की ओर से आज मई महीने के लिए आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट और वर्ष 2023 की वार्षिक समीक्षा रिपोर्ट के आधार पर यह निर्ष्कष निकाला गया है। इसमें कहा गया है कि आपूर्ति से जुडे अवसंरचना में निवेश ने पिछले कई दशकों की तुलना में अधिक लंबी अवधि के लिए भारत की सतत आर्थिक वृद्धि की संभावना को बल मिला है। भारत अपनी वृद्धि को पूर्व की तुलना में अधिक स्थायी तौर जारी रखने की स्थिति में है।
इसमें कहा गया है “ इसके बावजूद हमें इन उपलब्धियों पर संतोष नहीं करना चाहिए और न ही कड़ी मेहनत एवं सतर्कता से हासिल की गई आर्थिक स्थिरता को कम होने देना चाहिए। अगर हम धैर्य रखें, तो और तेजी से आगे बढ़ पाएंगे। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय बैंकिंग और गैर-वित्तीय कॉरपोरेट क्षेत्रों में बैलेंस सीट की दिक्कतों और वैश्विक चुनौतियों के बीच वृहद आर्थिक प्रबंधन बेहतर रहा है जिसने भारत की वृहद आर्थिक स्थिरता को बढ़ाने में बड़ा योगदान दिया है और आज हमारा देश अन्य देशों की तुलना में अधिक तेजी से पुनरुद्धार की राह पर आगे बढ़ रहा है। ”
रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि के मार्ग में छोटा लेकिन महत्वपूर्ण कदम राजकोषीय रुख था जिसके बल पर गत वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 2021-22 की तुलना में कम रहा है। इसमें कहा गया है कि सरकार मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए शुल्कों में कटौती कर सकती है और जनकल्याण पर खर्च बढ़ा सकती है। इसके अलावा सरकार अपने पूंजीगत व्यय के बढ़े प्रावधान को कायम रख सकती है, जिसकी वजह से आज निजी निवेश लाने में मदद मिल रही है। इसमें इसका भी जिक्र किया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि की जो रफ्तार बीते वित्त वर्ष में शुरू हुई है, वह 2023-24 में भी जारी है और अब तक जो आंकड़े आ रहे हैं वे इसकी ओर इशारा करते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरी मांग मजबूत बनी हुई है। वाहन बिक्री के ऊंचे आंकड़ों, ईंधन की खपत और यूपीआई लेनदेन से यह साफ दिखता है। दोपहिया और तिपहिया वाहनों की मजबूत बिक्री के साथ ग्रामीण मांग भी बढ़ रही है। माल एवं सेवा कर (जीएसटी)राजस्व संग्रह और विनिर्माण तथा सेवा पीएमआई लगातार बढ़ रहा है।...////...