17-Jul-2023 07:22 PM
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नयी दिल्ली, 17 जुलाई (संवाददाता) भारत के 20 शेरपा अमिताभ कांतजी ने देश के लिए उच्च लक्ष्य निर्धारित करते हुए सोमवार को कहा कि भारत को दुनिया में कार्बन उत्सर्जन से बचते हुए औद्योगिक रूप से विकसित होने वाले पहले देश का दर्जा हासिल करने का लक्ष्य साधना होगा।
श्री कांत वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) की ओर से यहां आयोजित कार्यक्रम ‘कनेक्ट करो 2023’ को सम्बोधित कर रहे थे। कनेक्ट करो 2023 डब्ल्यूआआई, इंडिया का एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसके जरिए भारत तथा दुनिया के अन्य हिस्सों में रहने वाले विभिन्न हितधारकों को अपने अनुभव और नजरियों को साझा करने का एक प्लेटफार्म मिलता है। साथ ही साथ इससे पर्यावरण-संरक्षण और स्वस्थ तरीके से आर्थिक विकास संबंधी प्रमुख चुनौतियां को लेकर सार्थक प्रतिक्रिया तलाशने के लिए आपसी सहयोग को आसान बनाने में भी मदद मिलती है।
श्री कांत ने कहा, “ वर्तमान में वैश्विक स्तर पर कुल कार्बन उत्सर्जन में भारत का योगदान सिर्फ 1.3 प्रतिशत है लेकिन भविष्य में भारत में जिस तरह से नगरीयकरण और औद्योगिकीकरण बढ़ेगा, उसके कारण हम निश्चित रूप से दुनिया के तीसरे सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जनकर्ता देश बन जाएंगे। ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि भारत एक देश के रूप में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई और प्रौद्योगिकी दोनों ही परिप्रेक्ष्य में तेजी से आगे बढ़े और जहां तक जलवायु परिवर्तन के मोर्चे पर कार्रवाई का सवाल है, तो एक उल्लेखनीय परिवर्तन लाए। ”
'कनेक्ट करो 2023' डब्ल्यूआरआई, इंडिया का 10वां वार्षिक सम्मेलन है। इसमें 450 विशेषज्ञ, नीति निर्माता, उद्योगों के प्रमुख तथा शोधकर्ता भारत के सतत विकास संबंधी समाधानों पर विचार-मंथन के लिए एकत्र हुए हैं। कार्यक्रम की थीम 'फॉर पीपल नेचर एंड क्लाइमेट' के तहत कांफ्रेंस के पहले दिन एक ताजातरीन अध्ययन रिपोर्ट जारी की गई। साथ ही नगरीय योजना, जल एवं सस्टेनेबलिटी, एकीकृत और इलेक्ट्रिक परिवहन, जलवायु तथा स्वच्छ हवा, ऊर्जा और भोजन जैसे विषयों पर विचारों से परिपूर्ण 18 सत्र आयोजित किए गए।
श्री कांत ने जोर देकर कहा कि भारत को प्रौद्योगिकीय रूप से और जलवायु परिवर्तन से निपटने की कार्रवाई के मामले में नेतृत्व की भूमिका अपनानी होगी। हमें क्लाइमेट एक्शन, ऊर्जा रूपांतरण, ग्रीन हाइड्रोजन और सतत् सार्वजनिक परिवहन के क्षेत्र में अग्रणी बनना होगा तभी हम भविष्य में अपने नागरिकों को एक बेहतर जिंदगी दे सकेंगे। अपने बेहतर भविष्य के लिए हम सभी के लिए जरूरी है कि कड़े कदम उठाएं और इस क्षेत्र में नेतृत्व की भूमिका हासिल करें।
डब्ल्यूआरआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी माधव पाई ने इस अवसर पर कहा, “ हमने वर्ष 2013 में कनेक्ट करो कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य भारत के सतत् विकास को संभव बनाने के लिए साथ मिलकर काम करने और लागू करने योग्य समाधान ढूंढने के उद्देश्य से थिंक टैंक्स, निजी क्षेत्र के लोगों, शोधकर्ताओं, सिविल सोसायटी और सरकार को साथ लेकर एक नेटवर्क बनाना है। यह यात्रा अब एक दशक के पड़ाव पर पहुंच गई है और मुझे दिली खुशी है कि अब तक 450 वक्ता हमारे विचार-विमर्श कार्यक्रमों में हिस्सा ले चुके हैं। इसके जरिए जटिल और क्षेत्रगत विषयों पर प्रमाण आधारित प्रतिक्रिया तैयार करने और मौजूदा समय की तात्कालिक चुनौतियों के सूक्ष्म और प्रासंगिक समाधान तलाशने की कोशिश की गई। ”
श्री पाई ने इस बात पर जोर दिया कि 'कनेक्ट करो' कार्यक्रम का उद्देश्य ऐसे उच्च स्तरीय संवाद के लिए मंच उपलब्ध कराना है, जिससे भविष्य में सतत् और रहने योग्य शहरों के निर्माण का रास्ता खुले और जिनमें लोगों को केंद्र में स्थापित किया जाए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि परस्पर जुड़े निम्न कार्बन उत्सर्जन वाले सतत् शहरों को आकार देने के लिए हमें आंकड़ों पर आधारित नगरीय योजना और जलवायु संबंधी कार्रवाई पर एक साथ ध्यान केंद्रित करना होगा। साथ ही साथ कुदरती समाधानों को जोड़ने और अपनी खाद्य प्रणालियों (उत्पादन भंडारण और वितरण से लेकर उपभोग की पद्धतियों तक) की पुनर्परिकल्पना पर भी ध्यान देना होगा।...////...