22-Oct-2023 10:30 PM
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नयी दिल्ली, 22 अक्टूबर (संवाददाता) केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने रविवार को कहा कि भारत आज रक्षा क्षेत्र में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से सुसज्जित है और साइबर सुरक्षा जैसे नए मोर्चो के लिए भी तैयार है।
डॉ. सिंह ने यहां यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (यूएसआई) द्वारा आयोजित भारतीय सैन्य विरासत समारोह को संबोधित करते हुए कहा,“अतीत में पुराने हथियारों पर निर्भरता के विपरीत, हमारे सशस्त्र बल ड्रोन, हेलिबोर्न ऑपरेशन और यूएवी सहित उन्नत हथियारों से सुसज्जित हैं और क्वांटम कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर सुरक्षा जैसी नई सीमाओं के लिए तैयार हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत नई नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियों को अपनाने में अग्रणी देशों के समकक्ष है, जिनमें रक्षा परिदृश्य को बदलने की क्षमता है। यह न केवल देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाती है बल्कि भारत को रक्षा क्षेत्र में वैश्विक प्रौद्योगिकी के अग्रणी देश के रूप में भी स्थापित करती है।
उन्होंने कहा,“यह अतीत की बात है जब हमारी सेनाएं पुराने अस्त्रों का उपयोग करती थीं। हम विश्व के उन सात विशिष्ट देशों में से हैं जो क्वांटम प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं।” डॉ सिंह ने कहा,“इस दृष्टिकोण के साथ, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष मार्च में राष्ट्रीय क्वांटम मिशन शुरू किया।”
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा, पुणे के भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) में स्थापित ‘आई-हब क्वांटम’, क्वांटम टेक्नोलॉजीज के क्षेत्र में काम कर रहा है और परमाणु इंटरफेरोमेट्री-आधारित सेंसिंग और नेविगेशन उपकरण विकसित कर रहा है। इसी तरह आईआईटी मद्रास में रक्षा कर्मियों के लिए एक सुरक्षित मोबाइल फोन विकसित करने पर काम चल रहा है, आईआईटी रूड़की में ट्यूटर सेवा केंद्र (टीआईएच) आईहब दिव्य संपर्क आईडीआर डूट एमके-1 ड्रोन विकसित करने में सहायता कर रहा है, जो आतंकवादी/अराजकता विरोधी और रूम इंटरवेंशन ऑपरेशन के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों की मदद के लिए भारत का पहला स्वदेशी नैनो ड्रोन है।
उन्होंने इसी तरह पुणे के आईआईएसईआर में स्थापित आई-हब क्वांटम परमाणु इंटरफेरोमेट्री-आधारित सेंसिंग और नेविगेशन उपकरणों को विकसित करने वाली क्वांटम टेक्नोलॉजीज के क्षेत्र में काम , आईआईटी मंडी के टीआईएच में ह्यूमन कंप्यूटर इंटरेक्शन (एचसीआई) फाउंडेशन द्वारा नौसेना के लिए नेवल कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम (एनसीएमएस) विकसित करने तथा आईआईएससी बेंगलुरु में टीआईएच में ऑटोमेशन सिस्टम आदि के सटीक नियंत्रण के लिए समेकित रोबोटिक ज्वाइंट एक्चुएटर्स विकसित करने पर हो रहे कार्यों का भी उल्लेख किया।
डॉ. सिंह ने कहा कि ये नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियां निरंतर विकसित हो रही हैं और सैन्य अभियानों पर उनका प्रभाव बढ़ता रहेगा। आधुनिक युग में सैन्य प्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखने के लिए इन प्रौद्योगिकियों को अपनाना और उनका उपयोग करना आवश्यक होगा।
डॉ. सिंह ने कहा कि जहां तक विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवोन्मेषणों का प्रश्न है,यह भारत के लिए सबसे अच्छा समय है। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3, आदित्य एल1 और कोविड टीकों की सफलता गाथाओं ने भारत की छवि में बड़े बदलाव लाने में योगदान दिया है। उन्होंंने यह भी कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान घोषित वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, 2070 तक नेट ज़ीरो के भारत के एमडीजी लक्ष्यों को अर्जित करने में काफी सहायता करेगा।
जी20 में अफ्रीकी संघ के प्रवेश की सराहना करते हुए, डॉ. सिंह ने कहा कि नयी दिल्ली शिखर सम्मेलन उपयुक्त रूप से यह प्रदर्शित करता है कि ‘विश्व आज प्रधानमंत्री श्री मोदी, जो जी20 को जी21 में बदलने के लिए इतिहास में जाने जाएंगे, की अगुवाई में भारत द्वारा नेतृत्व किए जाने के लिए तैयार है।’
डॉ. सिंह ने कहा,“उन्होंने भारत की भूमिका एक ऐसे राष्ट्र के रूप में स्थापित की है जो अब नेतृत्व नहीं सहेगा, बल्कि नेतृत्व करने के लिए तैयार है।...////...