09-May-2024 08:25 PM
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नयी दिल्ली 09 मई (संवाददाता) रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने बेरोजगारी जैसी भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की आवश्यकता पर बल दिया है।
श्री अरमाने ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा को ‘बुनियादी ढांचे के विकास में उभरती प्रौद्योगिकियों’ विषय पर बृहस्पतिवार को यहां आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं उद्योग बैठक का उद्घाटन किया। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में सशस्त्र बल, शिक्षाविद, उद्योग जगत की भी भागीदारी होगी। संगोष्ठी का उद्देश्य संवाद को बढ़ावा देना, ज्ञान का आदान-प्रदान करना और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप उभरती प्रौद्योगिकियों से चुनौतियों का समाधान तलाशना है।
रक्षा सचिव ने भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत युवा आबादी वाला देश है और आत्मनिर्भरता ही रोजगार सुनिश्चित करेगी।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के महत्व का उल्लेख करते हुए श्री अरमाने ने कहा कि भू-राजनीति की मौजूदा प्रवृति को देखते हुए भारत अपनी सुरक्षा तथा राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए अन्य देशों पर निर्भर नहीं रह सकता है। उन्होंने कहा कि देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने में आत्मनिर्भरता की मुख्य भूमिका है।
सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास पर प्रकाश डालते हुए, रक्षा सचिव ने इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों से तंत्र को और मजबूत बनाने में योगदान देने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों के कर्मियों को आधुनिक हथियार और उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं,। निजी क्षेत्र को भी सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में योगदान देना चाहिए। उन्होंने वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम का उल्लेख किया जिसका उद्देश्य लोगों को सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने मूल स्थानों पर रहने के लिए प्रेरित करना है। उन्होंने कंपनियों से आग्रह किया कि वे अपने संबंधित संगठनों के भीतर एक अलग अनुभाग स्थापित करें जो दूर-दराज के क्षेत्रों में विकास पर ध्यान दे।
श्री अरमाने ने कहा कि डीआरडीओ अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्र को बढावा दे रहा है, और आने वाले समय में ये दोनों मिलकर बेहतर और तेज निर्माण के लिए नवाचार के क्षेत्र में काम कर सकते हैं। उन्होंने उद्योग जगत से सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने और समयबद्ध तरीके से गुणवत्ता वाले उत्पादों के बड़े पैमाने पर उत्पादन पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया। उन्होंने उद्योग जगत से आग्रह किया कि शिक्षाविदों के सहयोग से कार्यबल के कौशल को बढ़ाया जाए, ताकि प्रौद्योगिकी से उत्पाद बनाने का सफर आसानी से तय किया जा सके।
इस अवसर पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉक्टर समीर वी कामत ने राष्ट्र के विकास में बुनियादी ढांचे के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत तकनीकी इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि देख रहा है, जो देश के रणनीतिक प्रतिरोध को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी तेजी से विकसित हो रही है, और अब प्रौद्योगिकी क्षेत्र को टिकाऊ बुनियादी ढांचे एवं हरित बुनियादी ढांचे की जरूरत भली भांति समझ आ रही है। उन्होंने कहा ‘‘यह समय हमारे तकनीकी बुनियादी ढांचे में नवीनतम प्रौद्योगिकीयों को शामिल करने के तरीकों का पता लगाने का है। हमने अच्छी शुरुआत की है, लेकिन सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के लिए अभी और काम करने की जरूरत है।”
महानिदेशक, संसाधन और प्रबंधन पुरुषोत्तम बेज ने कहा कि संगोष्ठी में बुनियादी ढांचे के विकास में उभरती प्रौद्योगिकियों से संबंधित अलग-अलग विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। संगोष्ठी में पांच तकनीकी सत्रों में 500 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया है। यह उपयोगकर्ताओं, योजनाकारों, डिजाइनरों, वास्तुकारों और अंततः अधिकारियों के ज्ञान को बढाने के दृष्टिकोण को साकार करने और बड़े पैमाने पर देश में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए शानदार कदम साबित होगा।
रक्षा सचिव ने उद्योग-भागीदार प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया, जिसमें विभिन्न उद्योग भागीदारों द्वारा विकसित नवीनतम तकनीकों और उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम के दौरान एक संगोष्ठी स्मारिका तथा अनुसंधान एवं विकास निर्माण प्रतिष्ठान कार्य प्रक्रिया 2024 भी जारी की गई।...////...