13-Aug-2021 04:45 PM
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कांग्रेस का आरोप है कि शिवराज सरकार सच का सामना नहीं करना चाहती। जनता के मुद्दे उठाने के लिए विधायकों के लिए विधानसभा ही सशक्त प्लेटफार्म है, लेकिन सरकार के पास जवाब नहीं है, इसलिए मानसून सत्र महज 3 घंटे में ही खत्म कर दिया। जबकि, महंगाई, ओबीसी आरक्षण, कोरोना से मौत, ग्वालियर-चंबल में बाढ़ से तबाही और जहरीली शराब से हुई मौतों जैसे कई मुद्दों पर विपक्ष चर्चा करना चाहता था, लेकिन सरकार इससे भाग रही है।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि संविधान के मुताबिक एक साल में होने वाले 4 सत्रों में 60 दिन बैठकें होना चाहिए, लेकिन किसी भी सत्र में 3-4 दिन से ज्यादा बैठकें नहीं की गई। आरोप लगाया, बीजेपी को भ्रष्टाचार की लत लग गई है। उन्हें तबादला उद्योग चलाने की फुर्सत है, लेकिन सदन चलाने के लिए समय नहीं है।
पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि कोरोना काल में सामान्य दिनों की तुलना में 54% अधिक मौतें हुई। एक तरफ सरकार कह रही है कि कोरोना से मरने वालों के परिजनों को 1-1 लाख रुपए की सहायता दी जाएगी। दूसरी तरफ, डेथ सर्टिफिकेट में इसका उल्लेख ही नहीं किया जा रहा।
दोनों नेताओं ने कहा, विपक्ष के पास स्थगन, ध्यान आकर्षण, 139 पर चर्चा और अशासकीय संकल्प के माध्यम से जनता की बात रखने का अधिकार है। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम द्वारा सदन के संचालन के लिए बुलाई गई कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में कांग्रेस ने इन मुद्दों की लिखित सूचना दी थी, लेकिन सरकार इन चर्चा कराने से बचना चाहती थी। इसलिए सत्र को तय समय से पहले खत्म कर दिया गया। यह जनता का अपमान है।
कोरोना से हुई मौतों पर सरकार को घेरने की तैयारी थी
कोरोना से हुई मौतों को लेकर कांग्रेस ने सरकार को विधानसभा में घेरने की तैयारी की थी। पूर्व मंत्री शर्मा का आरोप है, सरकार ने कोरोना से हुई भयावह मौतों के आंकड़ों को छिपाने के लिए तरह-तरह के आदेश निकाले। मृत्यु प्रमाण पत्रों में मृत्य के कारण की जानकारी न देने के लिए निर्देश दिए गए। मप्र में 12 महीनों में सामान्यतः 2017 से 3 लाख 50 हजार औसत मौतें हर वर्ष में होती हैं, किंतु वर्ष 2020 में 5 लाख 18 हजार और वर्ष 2021 के (जनवरी-मई) पांच महीनों में 3 लाख 28 हजार 963 मौतें पंजीकृत हुई हैं। यह सामान्य मौंतों से 54% अधिक मौतें हैं।
कांग्रेस का दावा- एमपी में कोरोना से 1 लाख 13 हजार मौतें हुई
शर्मा ने कहा, यदि सांख्यिकी के प्रोबेबिलिटी के सिद्धांत से गणना की जाए तो करीब 1 लाख 13 हजार मौतें कोरोना से हुई हैं, जबकि मौतों की संख्या में सुधार करने के बाद भी सरकार करीब 10 हजार मौतें ही बता रही है। इस मुद्दे को लेकर विपक्ष, सरकार से विधानसभा में जवाब चाहता था, लेकिन सरकार सामना नहीं करना चाहती है।
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