21-Apr-2023 09:40 PM
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नयी दिल्ली, 21 अप्रैल (संवाददाता) लेखिका एवं किस्सागो मालविका जोशी ने शुक्रवार को राजस्थानी कला ‘थेवा’ पर बनाई गई फिल्म की प्रशंसा करते हुए कहा कि कला और संस्कृति के संरक्षण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली अनोखी कला ‘थेवा’ जैसी फिल्मों का विस्तार करना जरूरी है। जिसकी अनोखी कला से लोग रूबरू हो सकें।
राष्ट्रीय राजधानी में आज आईजीएनसीए के मीडिया सेंटर द्वारा ‘फिल्म क्लब’ के अंतर्गत ‘थेवा’ फिल्म की स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया। फिल्म के प्रदर्शन के बाद निर्देशिका शिवानी पांडेय ने फिल्म के निर्माण की कहानी को दर्शकों के साथ साझा किया।
सेंसर बोर्ड के पूर्व सदस्य अतुल गंगवार ने कहा,“ ‘थेवा’ जैसे चलचित्र ही हमारी संस्कृति और कला को जीवंत बनाए हुए हैं। अन्य राज्यों की संस्कृति को भी चलचित्र के माध्यम से जनता के सामने लाने का प्रयास किया जाना चाहिए, जिससे हमारे देश के विभिन्न राज्यों की कला और संस्कृति की जानकारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हो सके।”
इस मौके पर किसान नेता नरेश सिरोही, आईजीएनसीए के मीडिया सेंटर के नियंत्रक अनुराग पुनेठा, उप नियंत्रक श्रुति नागपाल, फिल्म के सहायक निर्देशक अनिल पांडेय और उमेश पाठक आदि उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान के छोटे-से कस्बे की अनूठी कला ‘थेवा’ सोने की महीन चादरों को रंगीन कांच पर जोड़कर छोटे उपकरणों की मदद से सोने पर डिजाइन तैयार किया जाता है। यह आभूषण कला भारत में सदियों से प्रचलित है। इसकी उत्पत्ति राजस्थान के प्रतापगढ़ से हुई है। इस कला में अब प्रतापगढ़ के मात्र 12 परिवार लगे हुए हैं। इसी हुनर पर आधारित फिल्म ‘थेवा’ का प्रदर्शन किया गया, जिसका निर्माण आईजीएनसीए और निर्देशन शिवानी पांडेय ने किया है। निर्देशिका शिवानी पांडेय द्वारा निर्देशित इस फिल्म में उन गुमनाम कलाकारों को दिखाया गया है, जो रहस्यमय तरीके से निर्मित इस कला को जीवित रखे हुए हैं।
गौरतलब है कि कला और संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के महत्त्वपूर्ण उद्देश्य से आईजीएनसीए ऐसी फिल्मों का निर्माण और प्रदर्शन निरंतर करता आ रहा है।...////...