"जल पुरुष" डॉ. मोहन यादव का संकल्प हर किसान के खेत तक पानी पहुंचाना
25-Mar-2025 12:00 AM 821

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अक्सर कहते हैं कि प्राचीन काल में भारत में पारस पत्थर हुआ करता था, जिसके स्पर्श से लोहा सोना हो जाता था। इस पारस पत्थर का काम पानी करता है जब वह सूखे खेतों पर पहुंचता है। जल के स्पर्श से खेतों में सुनहरी फसलें लहलहाती हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के देश की धरती को "शस्य श्यामला" बनाने के संकल्प से ही जुड़ा हुआ है मुख्यमंत्री डॉ. यादव का "संकल्प "हर किसान के खेत तक पानी पहुंचाना" जिससे हर खेत में सुनहरी फसलें लहलहाएं और किसान समृद्धशाली बने। इसी संकल्प को पूरा करने के लिए वे निरंतर जुटे हुए हैं और इसके परिणाम स्वरुप प्रदेश ने गत 1 वर्ष में सिंचाई के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल की हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेई ने दो दशक पहले देश की नदियों को जोड़कर हर खेत तक पानी पहुंचाने का सपना देखा था, जो राज्यों के बीच जल विवाद के चलते दो दशकों से अधिक समय से ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ था। केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल जैसी महत्वाकांक्षी अंतर्राज्यीय नदी जोड़ो परियोजनाएं मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बीच सहमति न बन पाने के कारण आगे नहीं बढ़ पा रही थीं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केंद्र सरकार और राज्यों से निरंतर चर्चा कर इन परियोजनाओं के गतिरोध को समाप्त किया और प्रदेश ने दो बड़ी परियोजनाओं के रूप में अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई जी की 100वीं जयंती पर मध्यप्रदेश आकर देश की पहली नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना केन-बेतवा का शिलान्यास किया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव के अथक प्रयासों का ही परिणाम है कि अब महाराष्ट्र सरकार के साथ वार्ता के बाद विश्व की सबसे बड़ी ग्राउण्ड वॉटर रीचार्ज अंतर्राज्यीय संयुक्त परियोजना "ताप्ती बेसिन मेगा रीचार्ज परियोजना" का अवरोध दूर हो गया है। मध्यप्रदेश शीघ्र ही महाराष्ट्र सरकार के साथ इस संबंध में करार करने की ओर बढ़ रहा है। जल्द ही केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को भोपाल आमंत्रित कर करार की कार्यवाही की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि "ताप्ती मेगा रिचार्ज योजना के जरिए हम महाऱाष्ट्र सरकार के साथ मिलकर ताप्ती नदी की तीन धाराएं बनाकर राष्ट्रहित में नदी जल की बूंद-बूंद का उपयोग सुनिश्चित कर कृषि भूमि का कोना-कोना सिंचित करेंगे।"

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