रामचरित मानस की इस चौपाई के पंचतत्वों में से एकजल, जीवन का आधार है।हमें जीवन के अस्तित्व के लियेजल को संरक्षित करना ही होगा। इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाना जरूरी है। ऋग्वेद की ऋचाओं में जल के महत्व, विशेषताओं और संरक्षण का संकेत है। रामायण और महाभारत में प्रकृति के संरक्षण का उल्लेख है। जल संरक्षण हमारी पुरातन संस्कृति है। यह अपनी परंपरा और संस्कारों की ऐतिहासिक विरासत है जिसे हमें अगली पीढ़ी तक पहुंचाना है।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की विरासत से विकास की दृष्टि समग्र कल्याण के लिए है जो प्रकृति संवर्धन से लेकर विकास के हर पक्ष में समाहित है। मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने लंबे समय तक जल संरक्षण का अभियान चलाया था उन्हीं से प्रेरणा लेकर मध्यप्रदेश में हमने जल गंगा संवर्धन अभियान की संकल्पना की। इस अभियान का शुभारंभ 30 मार्च गुड़ी पड़वा, नववर्ष विक्रम संवत अवसर पर महाकाल की नगरी उज्जयिनी के शिप्रा तट से किया गया।यह अभियान जल संरक्षण, जल स्रोतों के पुनर्जीवन और जन-जागरुकता को समर्पित रहा है। जल संग्रह के कई कीर्तिमान रचने के साथ आज हम जल संरक्षण की समृद्धि का उत्सव मना रहे हैं।
मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि इस 90 दिन तक चले अभियान में पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर जलसंरचनाओं पर काम हुआ है। इस अभियान में खंडवा जिले ने 1.29 लाख संरचनाओं का निर्माण किया है इस विशेष उपलब्धि के लिए खंडवा को भू-गर्भ जल भंडारण की दृष्टि से प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जल सुरक्षा और प्रभावी जल प्रबंधन के लिए कैच द रेन अभियान शुरूकिया। इसी से प्रेरणा से लेकर मध्यप्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत वर्षा के एक-एक बूंद को सहेजने का प्रयास किया गया। प्रदेश में पहली बार वर्षा जल को सहेजने का बड़े स्तर पर अभियान चला इससे भविष्य में भू-जल की निर्भरता कम होगी और पानी की हर बूंद का उपयोग होगा।