राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि जनजातीय द्वारा सदियों से संरक्षित खान-पान, लोक कलाएं, शिल्प, वस्त्र, आभूषण, उपकरण और चिकित्सा पद्धतियां सभी हमारी अनमोल धरोहर है। हमारी इस लोक संस्कृति का संरक्षण और प्रोत्साहन समाज का दायित्व है। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा जनजातीय समुदाय की सतत आजीविका के लिए प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित मौलिक, स्वाभाविक, कला, शिल्प और संस्कृति की सृजनशीलता को निखार कर व्यवसायिक बनाने के प्रयासों की सराहना की है।
राज्यपाल श्री पटेल तीन दिवसीय शिल्प ग्राम महोत्सव के समापन कार्यक्रम को रवीन्द्र भवन में संबोधित कर रहे थे। महोत्सव का आयोजन जनजातीय कार्य विभाग द्वारा वन्या प्रकाशन, राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान और ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट के समन्वय से किया गया था। राज्यपाल श्री पटेल ने समापन कार्यक्रम के पूर्व सभागार में उपस्थित कलाकारों के पास पहुंचे और समक्ष में उनसे चर्चा की। कार्यक्रम में राज्यपाल को बैतूल जिले के शिल्पकारों की बेल मेटल से बनी जनजातीय कलाकृति स्मृति प्रतीक के रूप में और महोत्सव के प्रशिक्षणार्थी शिल्पियों, कलाकारों द्वारा निर्मित उत्पादों का सेट भेंट किए गए। राज्यपाल का वरिष्ठ गोंड कलाकार श्री आनंद श्याम ने पारंपरिक गोंड परंपरा के अनुसार साफा और बीरन माला से स्वागत किया।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि जनजातीय समुदाय के लिए गर्व की बात है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जनजातीय समुदाय को सक्षम बना कर उनके विकास और खुशहाली के लिए अभूतपूर्व कार्य किए हैं।पूरे देश में जनजातीय आबादी के लिए समान अवसरों के सृजन, सामाजिक-आर्थिक स्तर को उठाने, स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढांचे में सुधार और आजीविका के कार्य 'धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान' के तहत किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने देश की अति पिछड़ी जनजातियों जिनमें राज्य के बैगा, भारिया, सहरिया जनजातीय समुदाय शामिल हैं, उनके लिए जनमन योजना के तहत सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल तक पहुँच, बेहतर स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, पोषण, सड़क एवं दूरसंचार कनेक्टिविटी के साथ-साथ स्थायी आजीविका के अवसर उपलब्ध कराए हैं।