जनकल्याण पर व्यय बढ़ा रही है सरकार: सीतारमण
21-Mar-2022 07:00 PM 4581
नयी दिल्ली, 21 मार्च (AGENCY) राज्य सभा ने सोमवार को विनियोग (संख्यांक दो और तीन) विधेयक 2022 को ध्वनिमत से पारित कर लोकसभा को लाैटा दिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन में दोनों विधेयकों पर चली चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने जन कल्याण, बुनियादी ढ़ांचे की मजबूती और विस्तार, सामाजिक सुरक्षा तथा रक्षा पर व्यय बढ़ाया है, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिली है। उन्होेंने कहा कि सरकार का मकसद आम जनता की जीवन अनुकूलता बढ़ाना तथा सामाजिक आर्थिक विकास का बुनियादी ढ़ांचा मजबूत करना है। सरकार ने रक्षा पर खर्च बढ़ाया है और बुनियादी जरूरतों की आपूर्ति की है। श्रीमती सीतारमण ने विपक्षी दलों के सदस्यों के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि सरकार राज्यों की सार्वजनिक बीमा कंपनियों का पुनर्गठन करने के लिए 5000 करोड़ रुपयों का आवंटन किया है। भारतीय जीवन बीमा निगम के आईपीओ का निर्धारण विशेषज्ञों के एक समूह ने किया है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की कर्मचारी भविष्य निधि में जमा की ब्याज दर अन्य जमा के मुकाबले सबसे अधिक है। इस ब्याज दर की सिफारिश केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने की है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान एक लाख 58 हजार करोड़ रुपए के अतिरिक्त व्ययों की मांग की है। वित्त मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में यूरिया के दाम बढ़े हैं लेकिन किसानों को सब्सिडी दी गयी और इसका बोझ किसानों पर नहीं डाला गया। इसी तरह से खाद्य सब्सिडी दी गयी है और लोगों को कोरोना महामारी के प्रभाव से बचाया गया है। सीमाओं की रक्षा के लिए रक्षा सेवाओं पर भारी खर्च किया गया है। लड़ाकू विमानों से लेकर बुलेट प्रूफ जैकेटो और गोलियाें तक की खरीद की गयी है। उन्होंने कहा कि जीएसटी पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए और राज्यों को जीएसटी परिषद की सिफारिशों के अनुरुप राजस्व दिया जा रहा है। उन्होंने अपने वक्तव्य में ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही कई योजनाओं, प्रधानमंत्री आवास योजना और अन्य जन कल्याणकारी योजनाओं के व्यय का उल्लेख किया। अनुपूरक मांगों में 30 हजार करोड़ रुपए राष्ट्रीय लघु बचत कोष (एनएसएसएफ) की देनदारियां निपटाने, करीब 14,902 करोड़ रुपए उर्वरक सब्सिडी पर बढ़े हुए खर्च को निपटाने के लिए, 8,142 करोड़ रुपए जीएसटी क्षतिपूर्ति कोष के लिए और 8,353 करोड़ रुपए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत राज्य सरकारों को पूंजीगत संपत्तियों के सृजन के लिए अनुदान के रूप में देने का प्रस्ताव है। सरकार संसद द्वारा अनुमोदित खर्चों के अतिरिक्त खर्च की जरूरत को पूरा करने के लिए अनुपूरक मांगों की अनुमति लेती है। यूक्रेन संकट के कारण उर्वरकों के दाम बढ़ने से सब्सिडी का खर्च बढ़ गया है। इसी तरह एनएसएसएफ की इस वित्त वर्ष की देनदारियों के लिए अतिरिक्त 30 हजार करोड़ रुपए मांगे गए हैं। वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत 1.58 लाख करोड़ की अनुपूरक मांगों में शुद्ध नकद व्यय 1.07 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है, बाकी करीब 50 हजार 947 करोड़ रुपए की व्यवस्था मंत्रालयों और विभागों की बचतों और बढ़ी हुई सरकारी प्राप्तियों और वसूलियों से होने का अनुमान है। अनुपूरक मांगों की इन आखिरी किस्तों में 14 हजार करोड़ रुपए राज्य सरकार को कोविड टीकाकरण में मदद के लिए अनुदान की रूप में दिए जाने और पांच हजार करोड़ रुपए बजट में घोषित स्वास्थ्य संबंधी योजना में पूंजीगत खर्च के लिए है। वित्त मंत्री ने नौ हजार करोड़ रुपए राष्ट्रीय अवसंरचना एवं विकास वित्त बैंक और कोविड के दौरान कर्ज वसूली पर स्थगन की योजना के तहत बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की क्षतिपूर्ति के लिए है। उन्होंने नेशनल इंवेस्टमेंट फंड तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सरकारी क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों को दिए जाने वाले धन के लिए अतिरिक्त राशि की मांग की है। कमजोर वर्ग के लिए आवास पर ऋण से जुड़ी योजना (सीएलएसएस) के लिए 30,170 करोड़ रुपए की मांग की गयी है। इसी तरह निर्माण सामग्री एवं प्रौद्योगिकी संवर्धन परिषद (बीएमटीपीसी) द्वारा एनएसएसएफ से प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के लिए लिये गए ऋण की निपटान के लिए 33 हजार करोड़ रुपए की मांग की गयी है। इससे पहले दो अनुपूरक मांगों के माध्यम से सरकार पांच लाख 50 हजार करोड़ रुपए के अतिरिक्त खर्चों के लिए पिछले साल संसद की मंजूरी ले चुकी है। सरकार को उम्मीद है कि वह चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.9 प्रतिशत तक सीमित करने की लक्ष्य को पूरा कर लेगी।...////...
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