मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में प्रदेश "विरासत भी और विकास"भी की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रहा है। प्रदेश को गौरवान्वित करने वाले जननायक की कर्मभूमि में कैबिनेट बैठकें और प्रमुख कार्यक्रम आयोजित कर विकास के संकल्प को और अधिक मजबूत किया जा रहा है। गोंडवाना की रानी दुर्गावती, मालवा में महाराजा विक्रमादित्य, निमाड़ की रानी लोकमाता अहिल्याबाई और अब जननायक राजा भभूत सिंह जी के द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों और स्वर्णिम पक्षों को समाज के समक्ष जीवंत किया जा रहा हैं।
मुख्यमंत्री डॉ यादव मंगलवार को पचमढ़ी में होटल अमलतास में आयोजित पर्यटन विकास निगम के विभिन्न विकास कार्यों के लोकार्पण और शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने 33 करोड़ से अधिक के पर्यटन विकास के कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास किया। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि पचमढ़ी उद्यान अब राजा भभूत सिंह उद्यान के नाम से जाना जाएगा। इसी प्रकार पचमढ़ी शासकीय महाविद्यालय का नाम भी राजा भभूत सिंह महाविद्यालय होगा। उन्होंने पचमढ़ी में जनजातीय संग्रहालय बनाने और कोरकू समाज के पवित्र स्थल पर प्रतीक्षालय और टीनशेड बनाने की घोषणा की। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि नर्मदापुरम में लॉजिस्टिक पार्क बनाने का निर्णय लिया गया हैं। ये पार्क क्षेत्र में विकास की नई सौगात लेकर आएगा।
मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि पचमढ़ी अपने अप्रतिम नैसर्गिक सौंदर्य के लिए पूरे देश और दुनिया में जाना जाता है। यह अंचल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के साथ कई ऐतिहासिक तथ्यों को भी अपने में समाहित किए हुए हैं। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पचमढ़ी के विकास में आ रही बाधाओं को दूर कर इसे सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। राज्य सरकार ने पचमढ़ी के विकास के द्वार खोले हैं।
मुख्यमंत्री डॉ यादव ने कहा कि शौर्य और बलिदान के प्रतीक जननायक राजा भभूत सिंह जी की स्मृति में मध्यप्रदेश सरकार ने पचमढ़ी में कैबिनेट बैठक करने का निर्णय लिया जिसके माध्यम से उनके शौर्य और पराक्रम को समाज के सामने लाया जा रहा है। राजा भभूत सिंह महान व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने बिना भयभीत हुए पूरे पराक्रम से अंग्रेजों के साथ संघर्ष किया और देशभक्ति की उत्कृष्ट मिसाल पेश की। राजा भभूत सिंह हमारी स्मृति और संस्कृति में सदैव अमर रहेंगे। उन्होंने कहा कि आज का दिन राजा भभूत सिंह के वंशजों के लिए भी गौरवशाली पल है।