27-Aug-2023 10:18 PM
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नयी दिल्ली, 27 अगस्त (संवाददाता) साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कवयित्री अनामिका ने ऐतिहासिक एवं पौराणिक उपन्यासकार डॉ. भगवती शरण मिश्र को रविवार को उनकी दूसरी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि दी और उन्हें जटिल पौराणिक कथाओं के पुनर्लेखन का पुरोधा बताया।
डॉ.अनामिका ने आज यहां इस मौके पर आयेजित एक बेविनार को संबोधित करते हुए कहा, “पौराणिक कथाओं का पुनर्लेखन एक बड़ी चुनौती है जिसे भगवती बाबू ने बहुत ही शालीनता और सौम्यता के साथ संभाला। भारतीय इतिहास के महान परिदृश्य से महत्वपूर्ण क्षणों और पात्रों को उठाते हुए उन्होंने सार्थक नैतिक मूल्यों के महत्वपूर्ण प्रश्नों पर चर्चा की जो भारत की सांस्कृतिक और नैतिक विरासत को समझने में एक गुरु का काम करता है।”
‘इक्वेटर लाइन’ पत्रिका और टाइम्स ऑफ इंडिया के पूर्व संपादक एवं लेखक भास्कर रॉय ने डॉ.मिश्र को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा,“भगवती शरण मिश्र अपने जीवनकाल में ही एक किंवदंती बन गये। उनमें दो प्रवाह मिले: मगध साम्राज्य का सांस्कृतिक उत्साह और आधुनिक, लोकतांत्रिक भारत की मजबूत नेहरूवादी दृष्टि। उन्होंने उत्कृष्ट विद्वतापूर्ण कार्य किया और एक कुशल प्रशासक के रूप में अपनी भूमिका को उत्साहपूर्वक निभाया। जब हम भगवती शरण मिश्र को उनकी पुण्य तिथि पर याद करते हैं और श्रद्धांजलि देते हैं, तो हम वास्तव में भारत के विचार को मजबूत करने की प्रतिज्ञा करते हैं, जो 21वीं सदी के मूल्यों के साथ एक समृद्ध परंपरा को जोड़ती है। उनकी यात्रा हमारे लिए प्रकाशमय हो।”
इस मौके पर मुंबई पुलिस के विशेष इंस्पेक्टर जनरल दीपक पांडे ने डॉ. मिश्र के कृतत्व एवं व्यक्तितत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने श्रद्धांजलि संदेश में कहा,“बाबूजी एक महान सिविल सेवक थे, लगभग एक स्टेट्समैन होने के स्तर तक; एक विपुल लेखक; एक महान अनुशासनप्रिय और अभूतपूर्व विद्वान! बाबूजी हम सभी के लिए एक प्रेरणा थे और उन्होंने व्यक्तिगत रूप से या अपने लेखन के माध्यम से अपने आस-पास के सभी लोगों को प्रेरित किया; उनकी अधिकतम क्षमता तक बढ़ने के लिए! भगवद्गीता पर उनकी शिक्षाएं हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत रही हैं और उन्होंने गीता की कठिन शिक्षाओं को सरल शब्दों में हमारे लिए समझाने की कोशिश की है! आप सदैव हमारे नायक एवं प्रेरणा बने रहेंगे।”
उल्लेखनीय है कि हिन्दी,अंग्रेजी और बंगला भाषा के विद्वान डॉ. मिश्र ने 100 से अधिक पुस्तकें लिखकर हिन्द्री साहित्य की विरासत को मजबूत किया। उन्होंने अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारियों को कुशलता और ईमानदारी से निभाते हुए साहित्यिक जगत को नयी ऊंचाई पर पहुंचायी।...////...