24-Jul-2023 10:20 PM
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नयी दिल्ली/चेन्नई, 24 जुलाई (संवाददाता) भारत ने चेन्नई में सोमवार को आपदा प्रबंधन विषय से जुड़ी जी20 की बैठक में चक्रवाती तूफान, दावानल और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में खंडित प्रयासों की जगह राष्ट्रीय और वैश्विक प्रयासों में तालमेल की आवश्यकता तथा प्रभाव कम करने के लिए वित्तीय सहयोग के नए तरीके निकालने पर जोर दिया।
भारत ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए वित्तीय प्रबंध की अपनी नीति में आमूलचूल बदलाव की भी जानकारी दी।
प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव प्रमोद कुमार मिश्रा ने जी20 आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्य समूह की तीसरी बैठक को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से संबंधित आपदाओं के प्रभाव बहुत बड़े और प्रकृति में परस्पर जुड़े हुए हैं और ये प्रभाव हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं।
उन्होंने दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों और पूरी धरती पर सभी को प्रभावित करने वाले जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए ‘जी20 आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्य समूह के महत्व को रेखांकित किया।’इसी संदर्भ में उन्होंने पूरे उत्तरी गोलार्ध में भीषण गर्मी और लू, कनाडा में जंगल की आग से उत्तरी अमेरिका के विभिन्न हिस्सों में धुंध और भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों पर प्रमुख चक्रवाती तूफान का उदाहरण दिया।
श्री मिश्रा ने कहा कि दुनिया के सामने जिस तरह बड़े पैमाने की समस्याएं उभर रही हैं उसी तरह उनका सामाना करने के लिए हमारी महत्वाकांक्षाओं का भी मेल होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस मामले में धीमी प्रगति का समय अब बीत चुका है, अब जोखिमों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक प्रणालियों के कायाकल्प करने का समय है।
उन्होंने इसी संदर्भ में सामूहिक प्रयासों का प्रभाव को यथा संभव बढ़ाने के लिए आपातकालीन राष्ट्रीय और वैश्विक प्रयासों तालमेल की आवश्यकता पर बल दिया।
श्री मिश्रा ने कहा कि इस मामले में संकीर्ण संस्थागत दृष्टिकोण से प्रेरित खंडित प्रयासों के बजाय समस्या के निराकरण वाले दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र ‘सभी के लिए प्रारंभिक चेतावनी’ की महासचिव की पहल की सराहना की और बताया कि जी20 ने ‘प्रारंभिक चेतावनी और प्रारंभिक कार्रवाई’ को अपनी पांच प्राथमिकताओं में रखने का प्रस्ताव किया है।
श्री मिश्रा ने आपदा जोखिम कम से कम करने के लिए वित्तपोषण के क्षेत्र में सभी स्तरों पर व्यवस्था मजबूत करने का जोर दिया। प्रधान सचिव ने कहा कि आपदा जोखिम कम करने के लिए भारत में पिछले कुछ वर्षों में वित्तपोषण की व्यवस्था को पूरी तरह से बदल दिया गया है और न केवल आपदा प्रतिक्रिया बल्कि आपदा शमन, तैयारी और पुनर्प्राप्ति के वित्तपोषण के लिए एक पूर्वानुमानित तंत्र मौजूद है।
प्रमुख सचिव ने पूछा,“क्या हम वैश्विक स्तर पर भी ऐसी ही व्यवस्था कर सकते हैं?” उन्होंने कहा कि जलवायु वित्त को आपदा जोखिम में कमी के वित्तपोषण का एक अभिन्न अंग होना चाहिए। प्रमुख सचिव ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण आवश्यकताओं के लिए निजी वित्त जुटाने की चुनौती पर भी ध्यान दिए जाने पर जोर दिया। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि, “सरकारों को आपदा जोखिम न्यूनीकरण में निजी वित्त को आकर्षित करने के लिए किस प्रकार का सक्षम वातावरण बनाना चाहिए?” उन्होंने कहा कि यह विचार भी होना चाहिए कि आपदा जोखिम कम करने के उपायों में निजी निवेश न केवल कंपनी जगत की सामाजिक जिम्मेदारी की एक अभिव्यक्ति है बल्कि यह फर्मों के मुख्य व्यवसाय का हिस्सा भी है?
भारत की जी20 की अध्यक्षता में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी बैठकों के तहत इस विषय पर समूह की इस बैठक में प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव ने इस साल मार्च में गांधीनगर में पहली बार हुई बैठक के बाद हुई प्रगति की जानकारी भी दी।
बैठक में संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि ममी मिज़ुटोरी, भारत के जी20 के शेरपा अमिताभ कांत तथा जी20 के सदस्यों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय संगठनों के अधिकारी; कार्य समूह के अध्यक्ष कमल किशोर, भारत के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान और गृह मंत्रालय के अधिकारी उपस्थित थे।...////...