06-Aug-2023 07:34 PM
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चेन्नई, 06 अगस्त (संवाददाता) तमिलनाडु के जल संसाधन मंत्री दुरईमुरुगन ने रविवार को स्पष्ट तौर पर कहा कि कावेरी नदी जल मुद्दे पर कर्नाटक के साथ बातचीत का कोई सवाल ही नहीं है।
श्री दुरईमुरुगन केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर के तमिलनाडु को कावेरी विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाने के सुझाव पर प्रतिक्रिया देते हुए ये बातें कहीं। श्री चंद्रशेखर ने कहा था कि तमिलनाडु में द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) और कर्नाटक में कांग्रेस सत्ता में है और दोनों एक ही एक ही मोर्चे के घटक है, लिहाजा बातचीत से मसले को हल करना चाहिये। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए श्री दुरईमुरुगन कहा कि केंद्रीय मंत्री को शायद कावेरी मुद्दे के पूरे इतिहास की जानकारी नहीं है।
उन्होंने बताया, “चूंकि 1967 से 1990 तक हुई बातचीत से दोनों राज्यों के बीच जारी गतिरोध को हल करने के लिए कोई नतीजा नहीं निकला, इसलिए केंद्र ने कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) का गठन किया था।”
श्री दुरईमुरुगन ने कहा, “ट्रिब्यूनल ने अपना फैसला दे दिया है, जिसको बाद में उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी।”उन्होंने कहा, “शीर्ष अदालत द्वारा कुछ संशोधनों के साथ अपना फैसला सुनाए जाने के बाद कावेरी मुद्दे पर दोनों राज्यों के बीच बातचीत का कोई सवाल ही नहीं है।”
उन्होंने कहा, “अगर इस मुद्दे को बातचीत के माध्यम से हल किया जा सकता था, तो सीडब्ल्यूडीटी के गठन की कोई आवश्यकता नहीं थी... ये सब इतिहास है, जो लंबे समय से होता आ रहा है।” उन्होंने कहा, “चाहे मैत्रीपूर्ण संबंध हों या नहीं, दोनों राज्य अपने-अपने अधिकारों को बनाए रखने के लिए दृढ़ संकल्पित होंगे और यही तमिलनाडु का रुख है।”
उन्होंने कह कि इन तथ्यों को जाने बिना, केंद्रीय राज्य मंत्री का तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के.स्टालिन को निर्देश देना हास्यास्पद है।
श्री दुरईमुरुगन ने कहा कि श्री स्टालिन ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सांबा धान की फसल को बचाने के लिए कर्नाटक से तमिलनाडु को कावेरी जल का उचित हिस्सा जारी करने की सलाह देने का आग्रह किया था, जो हास्यास्पद था। उन्होंने कहा, “चूंकि न तो प्रधानमंत्री कार्यालय और न ही केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने मुख्यमंत्री के पत्र का जवाब दिया है, इसलिए केंद्रीय राज्य मंत्री श्री स्टालिन को बातचीत के माध्यम से समाधान खोजने का निर्देश दे रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि कर्नाटक ने उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित पानी पिछले दो महीनों से तमिलनाडु को उचित हिस्सा नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि वह दो बार व्यक्तिगत रूप से केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से मिले थे और इस मुद्दे को विस्तार से बताया था। उन्होंने कहा कि केवल कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) के पास ही अधिकार है कि वह कर्नाटक को तमिलनाडु के लिए कावेरी जल छोड़ने का निर्देश दें।
श्री मोदी को लिखे अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने कावेरी डेल्टा के किसानों को अपनी कुरुवई धान की फसल को बचाने में आने वाली गंभीर स्थिति की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया और कर्नाटक को तमिलनाडु को कावेरी जल का उचित हिस्सा जारी करने का निर्देश देने के लिए उनसे तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने कहा कि भारत के अन्य हिस्सों के विपरीत तमिलनाडु विशेष रूप से कावेरी डेल्टा, दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान बहुत कम वर्षा हुयी है। श्री स्टालिन ने कहा, “इसलिए, कुरुवई की खेती और सांबा धान की फसल की बुआई पूरी तरह से पानी की आपूर्ति निर्भर है।”
उन्होंने बताया, “सर्वोच्च न्यायालय ने मासिक कार्यक्रम के अनुसार तमिलनाडु को दिए जाने वाले पानी का हिस्सा तय कर दिया है, ”लेकिन दुर्भाग्य से कर्नाटक उपरोक्त आदेश का अक्षरश: पालन नहीं कर रहा है और ना ही कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) के निर्देशों का पालन कर रहा है। ”
श्री स्टालिन ने कहा कि वर्तमान 2023-2024 में कर्नाटक ने केवल 11.6 टीएमसी पानी छोड़ा है, जबकि एक जून से 31 जुलाई, 2023 तक बिलिगुंडुलु में 40.4 टीएमसी पानी छोड़ा गया है। उन्होंने कहा, “तमिलनाडु में 28.8 टीएमसी की इतनी बड़ी कमी हो गई है, जबकि कर्नाटक के चार प्रमुख जलाशयों में 91 टीएमसी का सकल भंडारण है। वहीं उनकी पूर्ण भंडारण क्षमता 114.6 टीएमसी है।”
उन्होंने कहा कि कावेरी डेल्टा की जीवन रेखा तमिलनाडु के मेट्टूर जलाशय में भंडारण की स्थिति 2 अगस्त, 2023 तक केवल 26.6 टीएमसी है। पीने के पानी और अन्य आवश्यक जरूरतों के प्रावधान के बाद, उपलब्ध पानी केवल कुरुवई की खड़ी फसल को केवल 15 दिन का पानी दे सकता है। श्री स्टालिन ने कहा कि परिपक्वता और अधिकतम उपज के लिए इसे 45 दिन और पानी की जरूरत है।...////...