कभी इटावा की गलियों में घूमते थे महाभारत सीरियल के द्रोणाचार्य
04-May-2022 09:14 PM 2474
इटावा, 4 मई (AGENCY) उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर इटावा की गलियों से निकल कर ‘महाभारत’ में गुरू द्रोणाचार्य की भूमिका के जरिये छोटे पर्दे पर लोकप्रियता का शिखर चूम चुके सुरेन्द्र पाल अपनी मिट्टी से जुड़ा रहना चाहते हैं। सुरेंद्र ने इटावा में स्कूली शिक्षा हासिल की थी जिसके बाद वह यहां से चले गये लेकिन उनके जहन से इटावा की मिट्टी का प्रेम कभी भी दूर नही हो सका। जब कभी भी उन्हे मौका मिलता है तो वो इटावा आना नही भूलते है। इसी क्रम में सुरेन्द्र मंगलवार रात इटावा में थे। सबसे पहले वह इटावा मे डीएम चौराहे के पास एक पुराने आशियाने के बाहर पहुंचे जहॉ पर कभी वो किराये के मकान मे अपने पिता के साथ रहा करते थे उसके बाद उन्होने इटावा क्लब को निहारा। इसके बाद जी.आई.सी इंटर कालेज के मुख्य गेट पर पहुंचे जहॉ पर सुरेंद्र ने गेट के बाहर खडे होकर कईयो फोटो खिचावाये और स्कूली दिनो की यादो को ताजा कर भावुक हुए। इसके बाद के.के.डिग्री कालेज पहुंचे । सुरेंद्र ने अपने साथ आये आगरा के लोगो को इटावा से जुडी हुई अपनी यादो को साझा करते हुए बताया कि यही वो जीआईसी स्कूल है जहॉ पर उन्होने ना केवल स्कूली शिक्षा पाई बल्कि चाट के ठेले पर धूल भरी चाट भी खाई है । सुरेंद्र पाल ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव से भी मुलाकात की । मुलाकात के दरम्यान सुरेंद्र पाल और शिवपाल के बीच पुराने दिनो की कईयो महत्वपूर्ण बातो की चर्चा भी हुई । सुरेंद्र पाल इटावा में अपने उस घर के बाहर भी पहुंचे जहां वह 1970 से पहले रहा करते थे। इस बडे आशियाने का उस समय किराये मात्र 15 या 20 रूपये हुआ करता था। इस आशियाने की आज भी शक्ल ठीक वैसी ही बनी हुई है जैसी उस समय हुआ करती थी । आज इस आशियाने के एक हिस्से मे पूर्व विधायक रविंद्र सिंह चौहान और एक हिस्से मे पूर्व मंत्री श्रीमती सुखदा मिश्रा रहती है ।रात के अंधेरे में उनकी इस भ्रमण यात्रा का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें वह कई मौके पर बेहद ही भावुक भी होते हुए दिखाई दिए। सुरेंद्र पाल वर्ष 1965 से 1970 तक इटावा शहर में रहे हैं और उनकी प्रारंभिक शिक्षा यहीं पर हुई है। सुरेंद्र पाल बताते है कि उनके पिता दशरथ सिंह पुलिस में डिप्टी एसपी थे। 1962 से लेकर 1964 तक वे इटावा में तैनात थे लेकिन उनका तबादला हो जाने के बाद भी वे प्रारंभिक शिक्षा के लिए 1970 तक यहीं रहे। अपनी पुरानी यादें ताजा करने के लिए वे इटावा में आए थे। रात में ही तीनों स्थानों पर कुछ देर रुके और उस जगह को निहारा जहां से उन्होंने अपने जीवन की उड़ान भरी थी । उन्होने कहा “ करीब 50 साल बाद अपने उस घर को देखा जिसमे मैने अपने जीवन के शुरूआती दिन बिताये । मेरी बचपन की कई यादें जुडीं रही है । जीआईसी मैदान मे 1994 मे उनको मुलायम सिंह यादव ने यशभारती सम्मान से सम्मानित किया था । उस समारोह मे राज्यपाल के रूप मे मोतीलाल बोरा शामिल हुए थे।” सुरेन्द्र पाल 1977 में गाजियाबाद से मुंबई चले गए जहां पर रोशन तनेजा की एक्टिंग क्लास ज्वाइन की। 1982 में शबाना आजमी के साथ पहली फिल्म शमा की थी। जिसके निर्माता कादर खान थे । जब यह फिल्म रिलीज हुई थी तो इटावा मे उनके साथ पढने वाले कई लोगो ने यह कह कर दर्शकों को प्रेरित किया था कि यह फिल्म जरूर देखे इसमे मेरे मित्र सुरेंद्र पाल ने काम किया है । 1988 में महाभारत सीरियल में द्रोणाचार्य की भूमिका उन्हें मिली जिसको उन्होंने चुनौती के रूप में स्वीकार कर पूरे देश में प्रसिद्ध पाई। 32 साल के टीवी सीरियल के सफर में उन्होंने अब तक कई सीरियल के करीब 10 हजार एपीसोड किए हैं। आज भी वे निरंतर कार्य कर रहे हैं। उनके प्रसिद्ध किरदारों में सूर्यपुत्र कर्ण, शक्तिमान, देवो के देव महादेव, दिया और बाती हम, रहने वाली महलो की, लेफ्ट राइट, विष्णु पुराण आदि शामिल हैं। इटावा शहर की मिट्टी उनकी यादों में आज भी यथावत बनी है जिसे वे कभी नहीं भूलेंगे।...////...
© 2025 - All Rights Reserved - Youth18 | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^