12-May-2022 07:47 PM
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बेंगलुरु 12 मई (AGENCY) कर्नाटक सरकार ने धर्मांतरण की रोकने को लेकर राज्य मंत्रिमंडल से मिली स्वीकृति के बाद गुरूवार को इस पर अध्यादेश पारित कर दिया।
विधि एंव संसदीय मंत्री जे मधुस्वामी ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, “विधानसभा का सत्रावसान हो चुका है। इस वजह से हम इसे विधान परिषद में पारित नहीं करवा सके इसलिए हम धर्मांतरण की रोकथाम को लेकर अध्यादेश लेकर आए हैं। हम इसे विधानसभा के अगले सत्र में पारित करवाएंगे।”
उन्होंने बताया कि अध्यादेश को मंजूरी के लिए राज्य के राज्यपाल थावरचंद गहलोत के पास भेजा जाएगा। इसके बाद ही यह कानून का रूप ले पायेगा। इससे पहले राज्य से मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा था कि विधानसभा का सत्रावसान होने के कारण राज्य सरकार धर्मांतरण के खिलाफ अध्यादेश लाएगी।
उन्होंने बताया कि बेलगावी सत्र के दौरान विधानसभा में पारित हुए विधेयक में जबरन धर्मांतरण के लिए सजा और जुर्माना का प्रावधान है। इस विधेयक में धर्मांतरण करवाने वाले और इसकी चाहत रखे वाले को दो माह पहले उपायुक्त के समक्ष आवेदन दाखिल करने प्रावधान है। इसमें यह भी कहा गया है कि जो लोग धर्मांतरण कर रहे हैं उन्हें अपने मूल धर्म और इससे जुड़ी सुविधाओं या लाभों से हाथ धोना होगा।
इस विधेयक में शादी और प्रलोभन के जरिए धर्मांतरण पर रोक लगाने का प्रस्ताव है। उन्होंने बताया कि जो लोग जबरन धर्मांतरण करवाने में लिप्त पाए जाएंगे, उनके लिए विधेयक में तीन साल से लेकर पांच कैद की सजा तथा 25,000 रुपये जुर्माना का प्रस्ताव किया गया है।
श्री बोम्मई ने बताया कि विधेयक में नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को धर्मांतरण करवाने वालों के लिए तीन से 10 साल की कैद के साथ 50 हजार रुपये जुर्माना का प्रस्ताव है। बड़े पैमाने पर धर्मांतरण पर रोक लगाने और इसके लिए तीन साल से 10 साल कैद की सजा और एक लाख रुपये जुर्माना का प्रस्ताव है।
उन्होंने बताया कि यह विधेयक गत दिसंबर में विधानसभा में पारित हुआ था, लेकिन अभी तक विधान परिषद में यह पारित नहीं हुआ है। विधानसभा परिषद में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बहुमत से एक सीट कम है, जिसके कारण इसे पारित करवाने में मुश्किलें हो रही हैं।...////...