कोल्ड स्टोरेज एवं बाजार का प्रबंधन करेगी राज्य सरकार:हेमन्त सोरेन
27-Jul-2022 07:13 PM 8523
रांची, 27 जुलाई (AGENCY) झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि किसानों द्वारा पैदावार की गई कृषि उत्पादों का उचित मूल्य मिल सके इस निमित्त राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में कोल्ड स्टोरेज एवं बाजार प्रबंधन की व्यवस्था करेगी। श्री सोरेन ने आज बी.एस.कॉलेज स्टेडियम परिसर लोहरदगा में आयोजित बिरसा हरित ग्राम योजना सम्मान समारोह एवं परिसंपत्ति वितरण कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा कि झारखंड ऐसा प्रदेश है जहां पर लोग पहाड़,पर्वत,जंगल,नदी किनारे बसे हैं। हमारी सरकार ने इन सुदूर क्षेत्रों में बसे लोगों तक विकास योजनाओं को पहुंचाने का प्रयास किया है। अब पदाधिकारी योजनाओं की जानकारी सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर तक पहुंचा रहे हैं। जब पदाधिकारी घर-घर तक पहुंचेंगे तभी योजनाओं का लाभ लोगों को मिल सकेगा। कोरोना संक्रमण काल के समय जब लोग अपने-अपने घरों में बंद थे तभी हमारी सरकार ने राज्य में बिरसा हरित ग्राम योजना की शुरुआत की थी। बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत बड़ी संख्या में ग्रामीणों को बागवानी के कार्य से जोड़ा गया है। वैश्विक महामारी के समय बागवानी आजीविका का सबसे बेहतर स्रोत बना। अधिक से अधिक ग्रामीण परिवारों को बिरसा हरित ग्राम योजना से जोड़ा जा सके इस निमित्त निरंतर कार्य किया जा रहा है। मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में अब फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करेगी। किसानों को अब फूड प्रोसेसिंग उद्योग से जोड़ा जाएगा। खेती-कृषि से उत्पादित चीजों का बेहतर प्रोसेसिंग कर आय को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। हमारी सरकार इसके लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि बागवानी में सिर्फ आम का ही वृक्ष नहीं बल्कि पपीता, नींबू , आंवला, लीची, सखवा, कटहल इत्यादि पेड़ों की भी बागवानी करें। राज्य के किसान बागवानी के दायरे को बढ़ाने का प्रयास करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की 80% आबादी खेती-बाड़ी पर ही निर्भर है। जो लोग खेती-बाड़ी से जुड़े हैं उन्हें राज्य सरकार ट्रैक्टर, हल अन्य कृषि उपकरण अनुदानित दर पर उपलब्ध करा रही है। किसानों को पशुपालन इत्यादि से भी जोड़ा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना की भी शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत विभिन्न प्रकार के छोटे-छोटे रोजगार के लिए ऋण की व्यवस्था की गई है। अब युवा वर्ग चाहे तो ऋण लेकर मुर्गी पालन, अन्य पशु पालन, दुकान, होटल, सैलून, मालवाहक गाड़ियां इत्यादि चलाकर रोजगार से जुड़ सकते हैं। खेती-कृषि के अलावा ये सभी छोटे-छोटे रोजगार के स्रोत आर्थिक समृद्धि का बेहतर विकल्प भी है। इन सब चीजों की झारखंड में परंपरा भी रही है।...////...
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