04-Aug-2023 08:16 PM
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नयी दिल्ली 04 अगस्त (संवाददाता) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नागरिकों से एक जन आंदोलन शुरू करने की अपील की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोगों के सभी प्रतिनिधि उस कार्य में ईमानदारी से लगें जिसे करने के लिए संविधान ने उन्हें बाध्य किया है।
श्री धनखड़ ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के नागपुर में राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र के मंदिरों को नष्ट किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के मंदिरों को संरक्षित करने के लिए जनता को आगे आना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने नागरिकों को आगाह किया कि जब तक इन स्थानों को चर्चा, संवाद और बहस के मंच के रूप में संरक्षित नहीं किया जाता है, तब तक उन पर उन ताकतों का कब्जा होने की संभावना है जो न तो प्रतिनिधि हैं और न ही जवाबदेह हैं।
इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस, केंद्रीय राजमार्ग एवं सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस, राष्ट्रसंत तुकाडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुभाष चौधरी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
संविधान सभा का उदाहरण देते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि असहमति को विरोध में नहीं बदला जा सकता है। उन्होंने कहा, “संविधान सभा को विभाजनकारी और विवादास्पद मुद्दों का सामना करना पड़ा, लेकिन इन्हें हमेशा समन्वय, सहयोग और सहयोग की भावना से हल किया गया।”
श्री धनखड़ ने कहा कि आर्थिक राष्ट्रवाद से समझौता नहीं किया जा सकता । व्यापार, उद्योग और व्यवसाय को इसके प्रति बेहद संवेदनशील होना होगा। इसे केवल नागरिकों के आर्थिक राष्ट्रवाद के महत्व के प्रति जागरूक करके ही हासिल किया जा सकता है।
उप राष्ट्रपति ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती। किसी को भी अपनी वित्तीय क्षमता के आधार पर ऊर्जा या जल संसाधनों का उपयोग करने का अधिकार नहीं है।
भारत की विश्व मंच पर प्रतिष्ठा का उल्लेख करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को संवैधानिक संस्थानों को कलंकित करने, धूमिल करने और अपमानित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने नागरिकों से ऐसे भारत विरोधी बयानों को खारिज करने का आह्वान किया।...////...