मानवाधिकार लोकतंत्र का प्रमुख स्तंभ: धनखड़
10-Dec-2023 02:39 PM 1507
नयी दिल्ली 10 दिसंबर (संवाददाता) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मानवाधिकार को लोकतंत्र का एक प्रमुख स्तंभ करार देते हुए कहा है कि भारत में मानवाधिकारों का पालन विश्व के लिए एक आदर्श है। श्री धनखड़ ने रविवार को यहां मानव अधिकार दिवस पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मानवाधिकार संरक्षण में भारत की भूमिका उल्लेखनीय है। पूरी दुनिया में मानवाधिकारों के पालन को लेकर भारत का उदाहरण दिया जाता है। उन्होंने कहा कि भारत में मानवाधिकारों का संरक्षण भारतीय संस्कृति और सभ्यता तथा संविधान में समाहित है। उपराष्ट्रपति ने संविधान में मानवाधिकारों से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि मानवाधिकार लोकतंत्र का आधार स्तंभ है। भारत के राष्ट्रपति के रूप में एक आदिवासी महिला की नियुक्ति को मानवाधिकारों का प्रमाण बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि मानवाधिकार एक यज्ञ के समान एक सामूहिक प्रयास है, और इसमें योगदान देना सभी की साझा जिम्मेदारी है। यह प्रत्येक व्यक्ति से संबंधित है। उन्होंने कहा, “मानवाधिकारों का उत्थान एक हवन है, जिसमें हर किसी को आहुति देनी चाहिए, योगदान देना चाहिए।” उन्होंने कहा, “दुनिया का कोई भी हिस्सा मानवाधिकारों के साथ इतना समृद्ध, समृद्ध नहीं है जितना हमारा देश कर रहा है। हमारा अमृत-काल मुख्य रूप से मानवाधिकारों और मूल्यों के खिलने के कारण हमारा गौरव-काल बन गया है। हमारे सभ्यतागत लोकाचार और संवैधानिक प्रतिबद्धता मानव अधिकारों के सम्मान, सुरक्षा और पोषण के प्रति हमारे गहरे समर्पण को दर्शाते हैं जो हमारे डीएनए में है।” उपराष्ट्रपति ने कहा कि कानून के समक्ष समानता मानव अधिकार को बढ़ावा देने का एक अविभाज्य पहलू है। उन्होंने मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए राज्य के तीनों अंगों, विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के प्रयासों की भी सराहना की। मुफ्त की राजनीति के बारे में बात करते हुए, उपराष्ट्रपति ने आगाह किया कि इससे व्यय प्राथमिकता विकृत हो जाएगी और व्यापक आर्थिक स्थिरता के बुनियादी ढांचे को कमजोर कर दिया जाएगा क्योंकि "राजकोषीय अनुदान के माध्यम से सशक्त बनाने से केवल निर्भरता बढ़ती है। उन्होंने कहा कि मानव मस्तिष्क और मानव संसाधनों का सशक्तिकरण किया जाना चाहिए। विशेष रूप से कमजोर वर्गों के लिए मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए पारदर्शिता और जवाबदेह शासन को 'गेम-चेंजर' बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी के उपयोग ने भी इस प्रगति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सरकार की समावेशी नीतियों के सकारात्मक कार्यान्वयन ने लाखों लोगों को गरीबी की गिरफ्त से मुक्त कराया है। उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि ने आर्थिक अवसरों, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच और अच्छी शिक्षा से समृद्ध भविष्य का मार्ग प्रशस्त किया है। ये वही स्तंभ हैं जिन पर एक मजबूत मानवाधिकार भवन टिका हुआ है। श्री धनखड़ ने कहा कि मानवाधिकारों के लिए सबसे बड़ा खतरा भ्रष्टाचार से उत्पन्न होता है। भ्रष्टाचार और मानवाधिकार एक साथ नहीं रह सकते।...////...
© 2025 - All Rights Reserved - Youth18 | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^