08-Jul-2023 05:33 PM
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गुरूग्राम, 08 जुलाई (संवाददाता) हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गुरुग्राम जिले की मानेसर तहसील के कासन, कुकरोला और सेहरावां गांवों की जमीन अधिग्रहण के मामले में किसानों और भूमि मालिकों को भी बड़ी राहत देते हुए नो लिटिगेशन नीति-2023 शुरू की है।
श्री खट्टर ने राज्य की सत्ता सम्भालते ही भूमि अधिग्रहण प्रभावित किसानों और भूमि मालिकों को भरोसा दिलाया था कि वह इस मामले का कानूनी तरीके से समुचित हल निकालेंगे। नौ अगस्त, 2022 को राज्य विधानसभा सत्र में भी उन्होंने इस विषय के समाधान को लेकर आश्वस्त किया था। अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए अब उन्होंने 'नो लिटिगेशन नीति-2023' तैयार की है, जिसमें किसानों और भूमि मालिक अधिग्रहीत प्रत्येक एक एकड़ भूमि के लिए 1000 वर्ग मीटर के बराबर विकसित आवासीय या विकसित औद्योगिक भूखंड लेने के पात्र होंगे।
उल्लेखनीय है कि राज्य की तत्कालीन राज्य सरकार ने मानेसर औद्योगिक मॉडल टाउनशिप विस्तार के विकास के उद्देश्य से 10 जनवरी, 2011 को भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा चार के तहत गुरुग्राम जिले की मानेसर तहसील के गांवों कासन, कुकरोला और सेहरावां में लगभग 1810 एकड़ जमीन अधिसूचित की थी। इसके बाद यह मामला उच्चतम न्यायालय तक गया तथा अदालत ने भूमि अधिग्रहण पर रोक लगा दी। हालांकि, अदालत ने यह स्थगनादेश दो दिसम्बर, 2019 को हटा दिया गया और उसके बाद उक्त भूमि को 17 अगस्त, 2020 को भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा 6 के तहत अधिसूचित किया गया और बाद में आठ अगस्त, 2022 को मुआवजे की घोषणा की गई थी।
नो लिटिगेशन नीति में किसानों को अनेक लाभ दिए गए हैं। किसानों/भूमि मालिकों को पॉलिसी की अधिसूचना और पोर्टल के लॉन्च होने से छह माह की अवधि के भीतर इस योजना का विकल्प चुनने का अधिकार होगा। भूमि मालिकों को तत्काल लाभ सुनिश्चित करने हेतु हरियाणा राज्य औद्योगिक ढांचागत विकास निगम(एचएसआईआईडीसी) योजना के
बंद होने से 3 महीने की अवधि के भीतर भूमि पात्रता प्रमाण पत्र जारी कर सकता है।
इस नीति में भूमि मालिकों या भूमि पात्रता प्रमाण पत्र धारकों को भूमि पात्रता प्रमाण पत्र का व्यापार करने, खरीदने या बेचने की भी स्वतंत्रता दी गई है। भूमि मालिक ओपन मार्केट में इस प्रमाण का मुद्रीकरण कर सकता है या एचएसआईआईडीसी को वापस बेच सकता है। आवंटित की जाने वाली साइट के सम्बंध में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध होने के बाद भूमि पात्रता प्रमाण पत्र धारकों को पोजेशन के साथ एचएसआईआईडीसी द्वारा विकसित भूखंडों की पेशकश की जाएगी।
एचएसआईआईडीसी द्वारा पेशकश किए जाने वाले प्लॉट का आकार विकसित आवासीय उपयोग हेतु 100 वर्ग मीटर, 150 वर्ग मीटर तथा विकसित औद्योगिक उपयोग के लिए 450 वर्गमीटर होगा। भूमि मालिक 33 वर्ष की अवधि के लिए प्रदान किए जा रहे वार्षिकी भुगतान का लाभ उठाने का भी हकदार होगा। वार्षिकी भुगतान 33 वर्ष की अवधि के लिए 21,000 प्रति एकड़ प्रति वर्ष होगा। इस वार्षिकी राशि में हर साल 750 रुपये की एक निश्चित राशि से वृद्धि की जाएगी। इस नीति में सरकार ने लैंड पूलिंग पॉलिसी 2022 की तर्ज पर भूमि मालिक/भूमि पात्रता प्रमाण पत्र धारकों को बाय बैक का भी विकल्प दिया है। इसके तहत वे एचएसआईआईडीसी से वैध भूमि पात्रता प्रमाण पत्र वापस खरीदने का अनुरोध कर सकते हैं।...////...