10-Jul-2023 04:40 PM
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नयी दिल्ली, 10 जुलाई (संवाददाता) एयरलाइन स्पाइसजेट ने सोमवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय ने उसे कलानिधि मारन को जो 380 करोड़ रुपये देने के निर्देश दिए हैं, वह अदालत के निर्णय के निष्पादन की प्रक्रिया के अंतर्गत एक जमानत की राशि है। कंपनी का दावा है कि इस मामले में इस या उस पक्ष को इस मामले में अंतत: कितनी राशि देनी है, उसका निर्णय अभी दिल्ली उच्च न्यायालय को करना है।
स्पाइस जेट ने एक बयान में कहा, “ उच्चतम न्यायालय ने श्री कलानिधि मारन और उनके परिवार की फर्म केएएल एयरवेज को जो 380 करोड़ रुपये के भुगतान का निर्देश दिया है, यह राशि एक कानूनी आदेश के निष्पादन की प्रक्रिया के अंतर्गत मात्र प्रतिभूति की एक राशि है। ”
स्पाइसजेट के वर्तमान प्रवर्तकों ने यह एयरलाइन श्री कलनानिधि के परिवार से खरीदी है। बयान में कहा गया है, “ इस या उस पक्ष को अंतत: कितनी धन-राशि का भुगतान करना होगा, यह निर्णय माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय को इस संबंध में मध्यस्थता अधिनियम की धारा 34 के अंतर्गत लंबित कार्यवाही में करना है। उच्च न्यायालय इससे संबंधित याचिका पर निर्णय 18 अप्रैल 2023 को सुरक्षित कर लिया है, उसकी प्रतीक्षा है। ”
स्पाइसजेट ने स्पष्ट किया है कि वह 75 करोड़ रुपये के भुगतान के लिए समय बढ़ाने के अनुरोध के साथ मई 2023 में उच्चतम न्यायालय में चली गयी थी लेकिन उसकी याचिका को अभी सात जुलाई को सूचीबद्ध किया गया ।
उसके बयान में कहा गया है कि कंपनी न्यायालयों का आदेश को सर्वोच्च सम्मान देती है तथा व्यापक हित में वह इस मामले का सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने को प्रतिबद्ध है।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एयरलाइन स्पाइसजेट को कंपनी के पिछले प्रवर्तक कलानिधि मारन को मध्यस्थता फोरम के निर्णय के अनुसार 380 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश देते हुए कहा है कि कारोबार ‘व्यावसायिक नैतिकता’ के साथ चलाया जाना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की खंडपीठ ने स्पाइसजेट के उस अर्जी को खारिज कर दिया जिसमें उच्चतम न्यायालय के 13 फरवरी के आदेश के तहत श्री मारन की कंपनी केएएल एयरवेज को 75 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए और समय दिए जाने की मांग की गयी थी। न्यायालय ने यह भी आगाह किया “यदि आदेशों का पालन नहीं किया जाता है, तो परिणाम भुगतने होंगे।”
उच्चतम न्यायालय ने फरवरी में स्पाइसजेट को 2018 के मध्यस्थता अदालत के निर्णय के संबंध में तीन महीने के भीतर 75 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था।
स्पाइसजेट ने और दो महीने का समय मांगा था। न्यायालय की ओर से दी गयी तीन महीने की अवधि 13 मई को समाप्त हो गई थी।
मारन परिवार मध्यस्थता अदालत के 2018 के निर्णय के तहत स्पाइसजेट से 362.49 करोड़ रुपये (और बकाया ब्याज) की मांग कर रहा है। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि अगर स्पाइसजेट उसके निर्देश के अनुसार भुगतान नहीं करती है तो उस पर श्री मरान और केएएल एयरवेज को मध्यस्थता फोरम के निर्णय के अनुसार पूरी राशि देय हो जाएगी।...////...