06-Dec-2023 10:57 PM
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नई दिल्ली, 6 दिसंबर (संवाददाता) केंद्रीय अप्रत्यक्ष एवं सीमाशुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के विशेष सचिव एवं सदस्य (जीएसटी) शशांक प्रिया ने बुधवार को कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की वसूली अच्छी चल रही है तथा इसमें अभी और वृद्धि की गुंजाइश है।
यहां जीएसटी पर उद्योगमंडल एसोचैम के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “ हमारा कर राजस्व ( मासिक जीएसटी वसूली) लगातार 1.6 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो रहा है। हम इसे और बढाएंगे क्योंकि अभी ऐसे क्षेत्र हैं जहां राजस्व का दोहन किया जा सकता है।”
उन्होंने कहा “ हम जीएसटी अनुपालन को आसान बनाने पर विचार कर रहे हैं, लेकिन साथ ही, हम यह भी देखना चाहते हैं कि अनुपालन में नियमितता बरती जाए, कर विवरण दाखिल करने तथा कर-भुगतान समय पर हो। हम एक राष्ट्र, एक कर, एक बाजार की यात्रा पर निकले हैं और हमें मैदानी स्तर पर आने वाली इन समस्याओं के समाधान की दिशा में लगातार काम करते रहने की जरूरत है।”
श्री शशांक प्रिया ने यह भी कहा कि सीबीआईसी ने एक बड़ा फैसला किया है कि अब उसका अपना अपना ‘बैक एंड सिस्टम’ यानी हिसाब-किताब रखने का प्रभाग नहीं होगा बल्कि इस काम को जीएसटीएन के बैक एंड सिस्टम पर ले जाया जाएगा। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्यों कि बोर्ड के सामने फील्ड स्तर पर, डेटा हानि की समस्याएं आ रही थीं। उन्होंने कहा, ‘ हमने महसूस किया है कि अगर हम सभी एक ही बैक-एंड सिस्टम पर काम करेंगे तो राज्यों और केंद्र के बीच एक तालमेल होगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि हर शिकायत के लिए केंद्र पर आश्रय ठीक नहीं होता। कानून के कुछ प्रावधानों के कार्यान्वयन में उत्पन्न होने वाली समस्याओं के समाधान के लिए जमीनी स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र, राज्य समन्वय समिति की बैठकों की व्यवस्था और तंत्र स्थापित किए जा चुके हैं।
श्री प्रतीक जैन, अध्यक्ष, एसोचैम की राष्ट्रीय अप्रत्यक्ष कर परिषद के चेयरमैन प्रतीक जैन ने कहा, “ इसमें कोई संदेह नहीं है कि जीएसटी ने सभी राज्यों में एक कानून और समान कर दरों के साथ संरचनात्मक सरलता ला दी है। पर उद्योग जगत का मानना है कि अब विधायी पहलुओं से अधिक, कर प्रशासन को अब सुव्यवस्थित करने तथा हितधारकों को एक साथ आ कर परस्पर राय-मशवरा के साथ आगे बढ़ने का दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।'
एसोचैम की राष्ट्रीय अप्रत्यक्ष कर परिषद के सह-अध्यक्ष एसोचैम रितेश कनोडिया ने जीएसटी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे जिन पर तत्काल विचार करने की आवश्यकता पर बल दिया जिनमें ऑडिट की बहुलता और नोटिसों की ऊंची संख्या , ऐसे पुराने मामले जिनमें कर की मांग की पुष्टि हो चुकी है, ब्याज जमा कर दिया गया है पर क्रेडिट का मुद्दा फंसा हुआ है तथा माफी योजना में कुछ कानूनी अस्पष्टताओं के आधार जीएसटीआर 2ए-3बी के नोटिस के संबंध में रियायत जैसे मुद्दे शामिल हैं।...////...