26-Nov-2024 03:58 PM
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श्रीनगर 26 नवंबर (संवाददाता) जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री एवं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को संविधान दिवस पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और संवैधानिक मूल्यों के क्षरण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें अभूतपूर्व खतरों का सामना करते देखना निराशाजनक है।
सुश्री महबूबा ने आरोप लगाया कि समुदाय की गरिमा, जीवन, आजीविका और पूजा स्थलों पर हमला हो रहा है जो संविधान द्वारा प्रत्येक नागरिक के लिए समान अधिकारों और सम्मान की गारंटी के विपरीत है।
उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “आज जब हम संविधान दिवस मना रहे हैं तो हमारे देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक को अभूतपूर्व खतरों का सामना करते देखना निराशाजनक है। उनकी गरिमा, जीवन, आजीविका और पूजा स्थलों पर हमला हो रहा है जो संविधान द्वारा प्रत्येक नागरिक के लिए समान अधिकारों और सम्मान की गारंटी का उल्लंघन करता है, चाहे उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो।”
उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश के संभल में हाल ही में हुई हिंसा, जिसमें चार निर्दोष लोगों की जान चली गई, इस कठोर वास्तविकता की दर्दनाक याद दिलाती है। मस्जिदों के नीचे मंदिर खोजने का यह चलन उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट फैसले के बावजूद जारी है कि सभी धार्मिक स्थलों पर 1947 जैसी ही यथास्थिति बनी रहनी चाहिए।”
उन्होंने कहा, “संवैधानिक मूल्यों और कानून के शासन का क्षरण बेहद चिंताजनक है और जब तक हम भारत के विचार में विश्वास करने वाले लोग इन मूल्यों की रक्षा के लिए नहीं उठेंगे तब तक हमारा देश अपनी विशिष्ट पहचान खोने और अपने पड़ोसियों से अलग न रह जाने का जोखिम उठाएगा।”
उल्लेखनीय है कि भारत में 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 1949 में इसी दिन भारत की संविधान सभा ने संविधान को अपनाया था। यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।...////...