मुख्यमंत्री एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति ने किया विक्रमादित्य का न्याय वैचारिक समागम का शुभारंभ
02-Mar-2025 12:00 AM 684

भारतीय न्याय व्यावस्था का आरंभ वैदिक काल में हुआ जहाँ सभा और समिति जैसी संस्थाओं के माध्‍यम से विवादों का निपटारा किया जाता था। सम्राट विक्रमादित्य के समय यह प्रणाली और अधिक सशक्त हुई। हमारे लिए आज भी उनकी न्याय प्रणाली की प्रासंगिकता अत्यंत महत्वपूर्ण है, समय बदल चुका है लेकिन न्याय की अवधारणा वही है जो विक्रमादित्य ने स्थापित की थी। सम्राट विक्रमादित्य ने न्यायपूर्ण, निष्पक्ष और समान समाज की स्थापना की थी। यह बात मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विक्रमादित्य का न्याय वैचारिक समागम के शुभारंभ अवसर पर कही। मुख्य न्यायाधिपति श्री सुरेश कुमार कैत ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य का शासन व्यवस्था प्रधान था, न कि व्यक्ति प्रधान। विक्रमादित्य का शासन तंत्र न्याय, प्रशासनिक दक्षता और सामाजिक समरसता पर आधारित था। विक्रमादित्य का शासन एक संगठित और सुव्यवस्थित प्रणाली पर आधारित था। सम्राट विक्रमादित्य का न्याय त्वरित और पारदर्शी था। सम्राट विक्रमादित्य को न्याय और सुशासन का प्रतीक भी माना जाता है तथा आज भी सम्राट विक्रमादित्य न्याय की मिसाल दी जाती है।

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