10-Dec-2023 08:41 PM
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पटना 10 दिसंबर (संवाददाता) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सामाजिक आर्थिक सर्वे रिपोर्ट से उजागर प्रदेश की गरीबी और पिछड़ेपन का हवाला देते हुए आज एक बार फिर राज्य को विशेष दर्जा देने की मांग कि।
श्री कुमार ने रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में यहां मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित ‘संवाद’ में 26वीं पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् की बैठक में कहा कि वह वर्ष 2010 से ही बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा की मांग कर रहे हैं। बिहार बहुत ही ऐतिहासिक राज्य है, लगातार विकास के बाद भी बिहार विकास के मापदंडों में राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे है। बिहार, विशेष राज्य के दर्जे की सभी शर्त्तों को पूरा करता है। अब तो जाति आधारित गणना में गरीबी एवं पिछड़ेपन के आंकड़े भी इसका समर्थन करते हैं। उन्होंने श्री शाह से कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के बारे में आप जरूर सोचेंगे।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की बैठक में केन्द्र एवं राज्य सरकार के बीच कई मुद्दों पर बात होनी है। वह चाहते थे कि केन्द्र सरकार जातीय आधार पर जनगणना कराये। इसके लिए वह शुरू से ही प्रयासरत थे। इसके लिए वर्ष 2019 एवं 2020 में बिहार विधानमंडल में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को भेजा गया। फिर वह सभी दलों के प्रतिनिधियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले। केन्द्र सरकार द्वारा इस पर कोई विचार नहीं किया गया। राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना करा ली है और इसके आंकड़े भी जारी कर दिये गये।
श्री कुमार ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार, बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ सात लाख 25 हजार 310 है, जिनमें से 53 लाख 72 हजार 22 लोग बिहार से बाहर के रह रहे हैं और 12 करोड़ 53 लाख 53 हजार राज्य में रह रहे हैं। जाति आधारित गणना में पिछड़ा वर्ग 27.12 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा 36.01, अनुसूचित जाति 19.65, अनुसूचित जनजाति 1.68 और सामान्य वर्ग 15.52 प्रतिशत की आबादी पायी गयी है। इन आंकड़ों के आधार पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सहित सभी पार्टियों की सहमति से समाज के सभी कमजोर वर्गों के सामाजिक उत्थान के लिए आरक्षण में इनकी भागीदारी बढ़ाने का निर्णय लिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में आरक्षण की सीमा 50 से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया है । इसके लिए कानून पारित हो गया है। सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए पूर्व से ही 10 प्रतिशत आरक्षण उपलब्ध है। सभी को मिलाकर कुल आरक्षण 75 प्रतिशत हो गया है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने केन्द्र सरकार से आरक्षण के नये कानून को संविधान की 9वीं अनुसूची में डालने का अनुरोध किया है। आशा है कि केन्द्र सरकार इसे शीघ्र ही संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करेगी।
श्री कुमार ने कहा कि जाति आधारित गणना में लोगों की आर्थिक स्थिति की जानकारी ली गयी है। सभी जातियों में गरीब परिवार मिले हैं। इनमें 25.09 प्रतिशत सामान्य वर्ग के, 33.16 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग के, 33.58 प्रतिशत अति पिछड़ा वर्ग के, 42.93 प्रतिशत अनुसूचित जाति तथा 42.70 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग गरीब हैं। उन्होंने कहा कि सभी वर्गों में गरीब परिवारों की कुल संख्या 94 लाख है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गरीब परिवारों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से इसके एक सदस्य को रोजगार के लिए दो लाख रुपये तक की सहायता की योजना बनायी गयी है। जिन परिवारों के पास आवास-घर नहीं है उन्हें जमीन खरीदने की राशि को 60 हजार से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया है। मकान बनाने के लिए एक लाख 20 हजार रुपये दिये जायेंगे। वर्ष 2018 से ‘सतत जीविकोपार्जन योजना’ के तहत अत्यंत निर्धन परिवार को रोजगार के लिए दी जा रही है। एक लाख रुपये की सहायता राशि को बढ़ाकर दो लाख रुपये कर दिया गया है। इन सब कार्यों में कुल मिलाकर दो लाख 50 हजार करोड़ रुपये लगेंगे, जिसे अगले पांच सालों में पूरा कर लिया जायेगा। यदि केन्द्र सरकार द्वारा बिहार को‘ ‘विशेष राज्य का दर्जा’ मिल जाए तो हम इस काम को बहुत कम समय में ही पूरा कर लेंगे।
श्री कुमार ने पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् की 26वीं बैठक पटना में आयोजित होने पर ख़ुशी जताई और केन्द्रीय गृह मंत्री श्री शाह एवं अन्य तीनों राज्यों के प्रतिनिधि तथा अन्य लोगों का स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए कहा कि सब जानते हैं कि पहले बंगाल, उड़ीसा, बिहार एवं झारखण्ड एक ही राज्य थे। वर्ष 1912 में बंगाल से अलग होकर ‘बिहार एवं उड़ीसा’ राज्य अस्तित्व में आये। वर्ष 1936 में बिहार से उड़ीसा अलग हो गया था और 23 वर्ष पूर्व वर्ष 2000 में बिहार से झारखण्ड अलग हो गया इसलिए इन चारों राज्यों की स्थिति लगभग एक जैसी है। जब से वह सरकार में हैं, पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् की बैठकों में हमेशा जाते ही रहे हैं। उन्होंने 28 फरवरी 2020 में ओडिशा में आयोजित बैठक में भाग लिया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह आशा करते हैं कि बैठक के दौरान जो निर्णय होंगे वे चारों राज्यों के विकास में सहायक होंगे। उन्हें पूरी उम्मीद है कि केन्द्रीय गृह मंत्री देश भर में जातीय आधारित जनगणना कराने एवं बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के बारे में पहल जरूर करेंगे।
श्री कुमार ने बैठक की मेजबानी और श्री शाह ने अध्यक्षता की। लगभग तीन घंटे तक चली इस बैठक में बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के मंत्री और वरीय अधिकारी शामिल हुये।
बैठक में बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी और जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा, पश्चिम बंगाल की मंत्री चन्द्रमा भट्टाचार्य, ओडिशा के मंत्री प्रदीप कुमार आम्त एवं मंत्री तुषार कान्ति बेहरा, झारखण्ड के मंत्री रामेश्वर उरांव एवं मंत्री चम्पई सोरेन, केन्द्र सरकार के सचिव, चारों राज्यों के मुख्य सचिव, बिहार के पुलिस महानिदेशक, पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् की सचिव तथा केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों के वरीय अधिकारी उपस्थित थे।...////...