राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि निरंतर सीखने और सेवा भाव के साथ कार्य करने का प्रयास विगत चार वर्षों में किया है। आगे भी इसी भाव और लक्ष्य के साथ कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि अपने सामर्थ्य अनुसार राष्ट्र की चुनौतियों को दूर करने के प्रयासों में ही जीवन की सार्थकता है। समाज में व्याप्त गरीबी, अशिक्षा, अज्ञानता आदि की चुनौतियों को दूर करने के लिए अधिक से अधिक योगदान का प्रयास प्रत्येक व्यक्ति को करना चाहिए।
राज्यपाल श्री पटेल ने यह बात राजभवन में उनके चार वर्षों के कार्यकाल की पूर्णता पर आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए कही। कार्यक्रम का आयोजन राजभवन के ऑडिटोरियम सांदीपनि में किया गया था। इस अवसर पर जनजातीय प्रकोष्ठ के अध्यक्ष श्री दीपक खांडेकर, अपर मुख्य सचिव श्री के.सी. गुप्ता, अपर सचिव श्री उमाशंकर भार्गव, सचिव जनजातीय प्रकोष्ठ श्रीमती जमुना भिड़े सहित राजभवन के समस्त अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित थे। राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कार्यक्रम में “राजभवन पचमढ़ी” पुस्तक लोकार्पित की। जनसंपर्क विभाग द्वारा तैयार लघु फिल्म “संकल्प सिद्ध कर्म सिद्ध राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल” का प्रदर्शन भी किया गया।
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि सृष्टि की कृतियों में एकमात्र मानव ही ऐसी रचना है जिसको वाणी, बुद्धि सहित समस्त शक्तियां मिली है। किसी और को यह सब एक साथ नहीं मिली है। यह सभी शक्तियां मानव की सेवा के लिए है। उन्होंने कहा कि स्वार्थी जीवन निरर्थक है। उन्होंने एक भव्य भवन वाले विश्वविद्यालय के भ्रमण प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में सर्वत्र, समृद्धता दिखाई दे रही थी। पार्किंग में दोपहिया वाहनों से कहीं अधिक फोर व्हीलर खड़े थे। इस शान-औ-शौकत में निकट ही गरीबों की बस्ती थी, जो अलग-थलग दिख रही थी। श्री पटेल ने कहा कि वह समृद्धता निरर्थक है, जो वंचितों, गरीबों की अनदेखी करे।