राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि निष्ठा और धैर्य के साथ न्यायसंगत दलील देना लोक अभियोजक का दायित्व है। उन्होंने कहा कि तथ्य ही सत्य है। तथ्यों पर आधारित दलील का कानून स्वाभाविक रूप से साथ देता है। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा कि क्षमताओं और कार्यकुशलता को विकसित कर विभाग को और अधिक ऊँचाइयों पर पहुँचाने की चुनौती में प्रशिक्षण में प्राप्त ज्ञान तथा अनुभवी प्रशिक्षकों का मार्गदर्शन सहयोगी होगा।
राज्यपाल श्री पटेल सोमवार को केन्द्रीय पुलिस प्रशिक्षण अकादमी (सीएपीटी) भोपाल में आयोजित सहायक लोक अभियोजन अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल श्री पटेल ने इस अवसर पर 10 सहायक लोक अभियोजकों को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र प्रदान किए। उन्होंने अकादमी परिसर में गोल्डन चंपा का पौधा भी लगाया।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि न्यायपालिका लोकतंत्र का वो स्तम्भ है, जिस पर नागरिकों की गहरी आस्था है। वह उसे सबसे अधिक आदर भाव से देखते हैं। न्याय व्यवस्था में अभियोजन अधिकारियों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, बहुआयामी है। उनकी जिम्मेदारी पीड़ितों के लिए मुकदमा चलाने तक सीमित नहीं है। कोर्ट के समक्ष सबूत पेश कर दोषी को सजा और पीड़ित को न्याय दिलाना है। अभियोजन अधिकारी के रूप में अपराध नियंत्रण में पुलिस की जांच में गुणवत्ता लाने, शासकीय विभागों को कानूनी सलाह देने, प्रकरणों में अपील करवाने और पीड़ितों को मुआवजा दिलाने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने कहा कि अभियोजन अधिकारी के रूप में उनके पास वंचित, गरीब और पीड़ित व्यक्ति अत्याचार, अनाचार के खिलाफ न्याय के उसके संघर्ष का रक्षक मानकर आएगा। उस समय उनका संवेदनशील व्यवहार, सहानुभूति और सहयोग न्याय में उसके विश्वास को मजबूत बनाएगा।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि सहायक लोक अभियोजक के रूप में उनका चयन कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद हुआ है, क्योंकि सरकारी नौकरी व्यवसाय मात्र नहीं है। यह वंचितों के जीवन में खुशहाली लाकर देश, प्रदेश और समाज के विकास के द्वारा सुखद भविष्य बनाने की प्रतिबद्ध सेवा का संकल्प है। उन्होंने लोक सेवक के रूप में इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए प्रशिक्षु अधिकारियों का अभिनंदन किया। यह अपेक्षा की है कि न्याय के मंदिर में वह निष्ठा और ईमानदारी के साथ कार्य के उच्च मानदण्ड स्थापित करेंगे।