08-May-2025 11:55 PM
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नयी दिल्ली, 08 मई (संवाददाता) उच्चतम न्यायालय ने न्यायाधीशों के पद रिक्त होने और लाखों की संख्या में लंबित मामलों की समस्या से निपटने के लिए गुरुवार को केंद्र सरकार से कहा कि वह न्यायाधीशों की नियुक्तियों के लिए सिफारिश किए गए नामों को शीघ्रता से मंजूरी दे।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने जमानत प्रक्रियाओं में देरी और विचाराधीन कैदियों की शीघ्र रिहाई से संबंधित एक स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए यह सुझाव दिया।
पीठ ने कहा, “हमें उम्मीद और भरोसा है कि लंबित प्रस्तावों को केंद्र सरकार जल्द से जल्द मंजूरी दे देगी।”
अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालयों में सात लाख से अधिक आपराधिक अपीलें लंबित हैं।
पीठ ने कहा कि 2.7 लाख लंबित मामलों वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के स्वीकृत 160 पदों के मुकाबले केवल 79 न्यायाधीश हैं।
पीठ ने इन आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा, “इसमें आपराधिक अपीलों का एक बड़ा हिस्सा लंबित है। इसलिए यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसे अलग स्तर पर देखना होगा।”
शीर्ष अदालत ने कहा कि 94 स्वीकृत पदों वाला बॉम्बे उच्च न्यायालय केवल 66 न्यायाधीशों के साथ चल रहा है। इसी प्रकार 72 न्यायाधीशों वाले कलकत्ता उच्च न्यायालय 44 जजों के साथ काम कर रहा है।
पीठ ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय में वर्तमान में निर्धारित 60 न्यायाधीशों के मुकाबले 41 न्यायाधीश हैं।
अदालत ने कहा, "यह एक ऐसा पहलू है, जहां केंद्र सरकार को कार्रवाई करने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि कॉलेजियम की सिफारिशों को शीघ्रता से मंजूरी दी जाए।
पीठ ने कहा कि दो दिन पहले उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम की सिफारिश शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर सार्वजनिक की गई थी।
पीठ ने कहा, ‘42023 की चार सिफारिशें और 2024 में की गई 13 सिफारिशें केंद्र के पास लंबित हैं। 24 सितंबर, 2024 को की गई सबसे हालिया सिफारिशें भी लंबित हैं।”
शीर्ष अदालत ने कहा कि 22 मार्च तक उच्च न्यायालयों में आपराधिक अपीलों की कुल संख्या 7,24,192 थी।
पीठ ने कहा कि मध्य प्रदेश में 1,15,382 मामले लंबित हैं पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में 79,326 और राजस्थान उच्च न्यायालय में 56,000 से अधिक, बॉम्बे उच्च न्यायालय में 28,257, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में 18,000 से अधिक मामले लंबित हैं।
शीर्ष अदालत ने माना कि लंबित मामलों की बढ़ती संख्या के पीछे स्थगन एक मुख्य कारण है।
ऐसी स्थिति में पीठ ने सुझाव दिया कि यदि अभियुक्तों कीक्ष ओर से पेश होने वाले अधिवक्ता बार-बार असहयोग करते हैं तो कानूनी सहायता के लिए वकीलों की नियुक्ति की जानी चाहिए।
पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि सभी उच्च न्यायालयों के लिए आपराधिक रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण को शामिल करना आवश्यक है।
पीठ ने उच्च न्यायालयों से इसके लिए चार सप्ताह के भीतर कार्ययोजना को रिकॉर्ड में रखने को कहा है।...////...