12-Nov-2023 12:03 PM
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इस्लामाबाद 12 नवंबर (संवाददाता) पकिस्तान उच्चतम न्यायलय ने 'व्यक्तिगत शिकायत' होने और 'सार्वजनिक महत्व का कोई सवाल नहीं उठाने' के कारण जबरन गायब करने के खिलाफ दायर याचिका वापस कर दी है।
वरिष्ठ वकील एतज़ाज़ अहसन ने 25 अक्टूबर को राजनीतिक नेताओं सहित 'जबरन गायब करने की अवैध और गैरकानूनी प्रथा' के खिलाफ वकील सरदार लतीफ खोसा के माध्यम से आवेदन दायर किया था।
उन्होंने प्रांतीय सरकारों को राज्य अधिकारियों की हिरासत में 'लापता व्यक्तियों' की एक सूची और इसमें शामिल कानून प्रवर्तन एजेंसियों की पहचान करने वाली एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देने की मांग की।
उच्चतम न्यायलय के रजिस्ट्रार कार्यालय ने कहा कि याचिका अनुच्छेद 184(3) के तहत दायर की गई थी। यह अदालत को 'असाधारण क्षेत्राधिकार' देता है और उसे ऐसे किसी भी मामले पर ध्यान देने का अधिकार देता है जिसमें लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है।
लौटायी गयी याचिका के साथ संलग्न नोट में, रजिस्ट्रार कार्यालय ने कहा कि याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता क्योंकि श्री अहसन ने यह नहीं बताया कि इस मामले में मौलिक अधिकारों के कार्यान्वयन के संबंध में 'सार्वजनिक महत्व के कौन से प्रश्न' शामिल थे। इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने 'एक व्यक्तिगत शिकायत' के निवारण के लिए उच्चतम न्यायालय के असाधारण क्षेत्राधिकार का इस्तेमाल किया, जो स्वीकार्य नहीं था एवं याचिकाकर्ता ने मामला दर्ज करने से पहले किसी अन्य मंच से संपर्क नहीं किया और ऐसा नहीं करने का कोई औचित्य भी नहीं बताया।
वरिष्ठ वकील ने अपनी याचिका में दावा किया था कि जबरन गायब किए जाने वाले पीड़ितों में पत्रकार, राजनेता, नौकरशाह और सरकार की आलोचना करने वाले अन्य लोग शामिल हैं।
याचिका में अवामी मुस्लिम लीग के प्रमुख शेख राशिद और फारुख हबीब, सदाकत अली अब्बासी, उस्मान डार और एंकरपर्सन इमरान रियाज खान सहित पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के वर्तमान और पूर्व नेताओं के लापता होने का जिक्र है।
श्री अहसन ने अदालत से अनुरोध किया कि जबरन गायब किए जाने को 'संवैधानिक उल्लंघन' घोषित किया जाए।...////...