11-Dec-2023 06:04 PM
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श्रीनगर 11 दिसंबर (संवाददाता) जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा की दो पार्टियों ने सोमवार को आरोप लगाया कि अनुच्छेद 370 पर फैसले की घोषणा से पहले उनके नेताओं को ‘घर में नजरबंद’ कर दिया गया लेकिन सरकार और पुलिस ने इस आरोप को खारिज कर दिया। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने सोमवार को दावा किया कि उसकी अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को नजरबंद कर दिया गया है। पीडीपी ने एक्स पर पोस्ट किया, “उच्चतम न्यायालय का फैसला सुनाए जाने से पहले ही, पुलिस ने पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के आवास के दरवाजे सील कर दिए और उन्हें अवैध रूप से नजरबंद कर दिया है।”
पोस्ट के साथ बंद दरवाजों की तस्वीरें भी साझा की गईं। पार्टी ने दावा किया कि उनके कार्यालय को भी पुलिस ने ‘सील’ कर दिया है।
नेशनल कॉन्फ्रेंस की राज्य प्रवक्ता सारा हयात शाह ने कहा कि पार्टी उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला को ‘उनके घर में बंद कर दिया गया है।’
सुश्री शाह ने एक्स पर एक पोस्ट में अब्दुल्ला के आवास पर बंद गेट की तस्वीरें साझा करते हुए कहा,“पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को उनके घर में बंद कर दिया गया है। यह कैसी प्रजातंत्र है?”
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हालांकि दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में किसी को भी नजरबंद या गिरफ्तार नहीं किया गया है।
इन आरोपों को अफवाह बताते हुए श्री सिन्हा ने कहा,“संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने पर शीर्ष अदालत के फैसले से पहले किसी की नजरबंदी या गिरफ्तारी की कोई भी रिपोर्ट पूरी तरह से निराधार है।”
श्री उमर ने एलजी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और पूछा कि वह ‘इनकार’ क्यों कर रहे हैं।
नेकां उपाध्यक्ष उमर ने एक्स पर पोस्ट में कहा,“प्रिय श्री एलजी, ये जंजीरें जो मेरे गेट पर लगाई गई हैं, मैंने नहीं लगाई हैं। तो आपके पुलिस बल ने जो किया है उससे आप क्यों इनकार कर रहे हैं। यह भी संभव है कि आपको पता ही न हो कि आपकी पुलिस क्या कर रही है? इस में से कौन हैं? क्या आप बेईमान हैं या आपकी पुलिस आपसे स्वतंत्र होकर काम कर रही है?”
श्रीनगर पुलिस ने इस बात से भी इनकार किया कि किसी व्यक्ति को नजरबंद या गिरफ्तार किया गया है।
गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने पांच अगस्त, 2019 की केंद्र सरकार की कार्रवाई की वैधता को बरकरार रखा जब जम्मू-कश्मीर के विशेष संवैधानिक प्रावधान को खत्म कर दिया गया था।
संविधान पीठ ने अपने सर्वसम्मत फैसले कहा कि अनुच्छेद 370 विशेष परिस्थितियों के लिए अस्थायी प्रावधान था और राष्ट्रपति द्वारा इसे मान्यता देने की कवायद थी।
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को पूर्ववती जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्ज खत्म कर इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र सरकार के पांच अगस्त 2019 के फैसले को बरकरार रखने का फैसला सुनाया।
अधिकारियों ने कहा कि पूरे कश्मीर में नागरिक आवाजाही पर कोई प्रतिबंध नहीं है और इंटरनेट सामान्य रूप से काम करता है। श्रीनगर और अन्य प्रमुख शहर शांत थे, सरकार स्थिति पर कड़ी निगरानी रख रही थी। पुलिस ने सोशल मीडिया पर निगरानी बढ़ा दी है और पिछले कुछ दिनों में कई नेटिजन्स पर उनके पोस्ट के लिए मामला दर्ज किया गया है।
स्थिति पर नजर रखने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी), श्रीनगर से प्राप्त एक संचार के बाद, अधिकारियों ने रविवार देर शाम श्रीनगर शहर में 29 नागरिक अधिकारियों को मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात किया।
अधिकारियों ने कहा कि सोमवार को एहतियात के तौर पर सुरक्षा काफिले की आवाजाही भी निलंबित कर दी गई है।...////...