05-May-2025 12:00 AM
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पद्मश्री डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर ने न सिर्फ पुरातत्व और चित्रकला के क्षेत्र में ख्याति अर्जित की, बल्कि सम्राट विक्रमादित्य के गौरवशाली शासन काल की विशेषताओं को सामने लाने का कार्य भी किया। यह बात विक्रमादित्य शोध पीठ, उज्जैन के पूर्व निदेशक, पद्मश्री भगवतीलाल राजपुरोहित ने प्रो. वाकणकर की जयंती पर आयेाजित व्याख्यान-माला के अवसर पर कही। यह आयोजन रविवार को डॉ. वाकणकर शोध संस्थान, संचालनालय पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय द्वारा स्टेट म्यूजियम में हुआ। कार्यक्रम में चित्रकला स्पर्धा के विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया।
पद्मश्री प्रो. राजपुरोहित ने कहा कि डॉ. वाकणकर ने पं. सूर्यनारायण व्यास, प्रो. सुमन और अन्य विद्वानों द्वारा सम्राट विक्रमादित्य के योगदान से जन-सामान्य को अवगत करवाने की परम्परा का निर्वहन किया। इस क्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है, जिन्होंने वर्ष 2007 से उज्जैन में विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के नाते विक्रमोत्सव का आयोजन प्रारंभ करवाया। उज्जैन में सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य मंचन की शुरूआत और बाद में अनेक प्रदर्शनों की उपलब्धि का श्रेय भी उन्हें ही जाता है। मुख्यमंत्री के रूप में डॉ. यादव के प्रयासों से नई दिल्ली में भी महानाट्य के तीन सफल मंचन संपन्न हुए।