पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की रिहाई के खिलाफ मारे गये आईएएस जी कृष्णैया की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
29-Apr-2023 11:22 PM 1568
नयी दिल्ली 29 अप्रैल (संवाददाता) बिहार के गोपालगंज के दिवंगत जिलाधिकारी जी कृष्णय्या की पत्नी उमा कृष्णय्या ने पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की रिहाई को शनिवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। सिंह को 1994 में हुई हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था और हाल ही में बिहार सरकार की अधिसूचना पर जेल से रिहा हुआ था। श्रीमती उमा कृष्णैया ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और आनंद मोहन को रिहा करने के बिहार सरकार के हालिया फैसले को चुनौती देते हुये याचिका दायर कर दी। आनंद मोहन को 1994 में कृष्णैया की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था और 14 साल से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद उसे रिहा कर दिया गया । बिहार सरकार ने हाल ही में अपनी अधिसूचना में उसे जेल से रिहा करने का आदेश दिया था। श्रीमती उमा ने अपनी याचिका में कहा है कि आनंद मोहन को रिहा करने की बिहार सरकार की अधिसूचना “एक अच्छा निर्णय नहीं है”। श्रीमती उमा की याचिका में कहा गया , “यह प्रस्तुत किया जाता है कि कानून का स्थापित सिद्धांत है कि आजीवन कारावास का मतलब यह प्राकृतिक रुप से उसका पूरा जीवन । तकनीकी रूप से इसकी 14 साल की व्याख्या नहीं की जा सकती है। इसका मतलब है कि आजीवन कारावास अंतिम सांस तक चलता है।” सुप्रीम कोर्ट में दायर उनकी याचिका में कहा गया है, “यह स्थापित कानून है कि मौत की सजा के विकल्प के रूप में दोषी को दी गई आजीवन कारावास की सजा को अलग तरीके से देखा जाना चाहिए और सामान्य आजीवन कारावास से अलग किया जाना चाहिए।” गौरतलब है कि 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णय्या की हत्या के मामले में दोषी आनंद मोहन को बिहार जेल नियमों में बदलाव के बाद गुरुवार सुबह जेल से रिहा कर दिया गया। पूर्व लोकसभा सांसद, आनंद सिंह (75) को 1994 में गोपालगंज के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) जी कृष्णैया की हत्या का दोषी ठहराया गया था। आनंद सिंह गुरुवार सुबह सहरसा जेल से रिहा हो गए। 1985 बैच के आईएएस अधिकारी कृष्णैया की उम्र महज 37 साल थी, जब 1994 में बिहार के मुजफ्फरपुर में आनंद सिंह सहित कुछ राजनेताओं के नेतृत्व वाली भीड़ ने उनकी हत्या कर दी थी। आनंद सिंह को पटना हाई कोर्ट ने 2007 में मौत की सजा सुनाई थी। हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2008 में सजा को कठोर आजीवन कारावास में बदल दिया गया था। साल 2012 में आनंद मोहन सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से सजा कम करने की अपील की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. तब से वह जेल में सजा काट रहे थे।...////...
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