19-Oct-2023 11:57 PM
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पटना, 19 अक्टूबर (संवाददाता) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को डॉक्टरों से पूरे समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ लोगों की सेवा करने का आह्वान करते हुए कहा, "मानव जाति की सेवा ही राष्ट्र की सेवा है"।
श्रीमती मुर्मू ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पटना के प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि लोगों के बीच डॉक्टरों का बहुत सम्मान है और उन्हें भगवान की तरह माना जाता है। उन्होंने कहा कि देश के लोगों को स्वस्थ रखने की डॉक्टरों पर बड़ी जिम्मेदारी है, इसलिए उन्हें पूरी लगन और जिम्मेदारी से काम करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा, "पिछले सात से आठ वर्षों में, देश भर के मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या लगभग 100 गुना बढ़ गई है। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने एम्स नई दिल्ली की तर्ज पर अन्य राज्यों में और अधिक एम्स खोलने का फैसला किया था।
उन्होंने कहा कि इससे उन लोगों को गुणवत्तापूर्ण इलाज उपलब्ध कराने में सहायता मिली जिन्हें देश के दूर-दराज के स्थानों से इलाज के लिए नई दिल्ली जाना पड़ता था।
श्रीमती मुर्मू ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित बीमारी के इलाज के लिए और अधिक शोध की जरूरत है । उन्होंने कहा कि यह जानकर खुशी हुई जिन लोगों को आज मेडिकल डिग्री दी जा रही है उनमें 55 फीसदी लड़कियां हैं। उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि लड़कियां सभी क्षेत्रों में शानदार प्रदर्शन कर रही हैं।
इस मौके पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा," आज के इस कार्यक्रम का नाम दीक्षांत समारोह है, शिक्षांत समारोह नहीं। क्योंकि शिक्षा का अंत नहीं होता। शिक्षा निरंतर चलती रहती है। इस शिक्षा के द्वारा समाज में सेवा कैसी करनी है। आपके काम से आपकी पहचान होनी चाहिए। आपके काम देखकर लोगों को पता लग जाना चाहिए कि आप एम्स जैसे संस्थान से पढ़ाई किए हैं।"
समारोह को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि वर्ष 2003 में जब अन्य राज्यों में और एम्स खोलने का निर्णय लिया गया तब वह वाजपेयी मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्री थे । उन्होंने कहा, "वर्ष 2005 में जब मैं मुख्यमंत्री बना तो हमने कहा कि एम्स का निर्माण तेजी से हो । एम्स के लिये स्थल का चयन मैंने ही किया था।
एम्स के लिये 102 एकड़ जमीन उपलब्ध कराया। नई टेक्नोलॉजी के आने से आज कल पुरानी चीजें लोग याद नहीं रखते हैं । इसलिए वह पुरानी बातें याद दिलाते रहते हैं।"
श्री कुमार ने कहा कि वर्ष 2013 से एम्स की शुरूआत हो गयी। यहां पर 960 बेड उपलब्ध है। सभी प्रकार की सर्जरी एवं अन्य जटिल रोगों का इलाज बेहतर ढंग से होता है । कोरोना के समय पूरे बिहार में सबसे बढ़िया इलाज पटना एम्स में ही हो रहा था। उन्होंने कहा, "एम्स की मांग पर हम लोग 330 करोड़ रूपये की राशि से 27 एकड़ जमीन एम्स को और उपलब्ध करा रहे हैं। एम्स के बगल में ही मरीजों के परिजनों को ठहरने के लिये 248 बेड का धर्मशाला का निर्माण जल्द पूरा होगा ताकि मरीजों के परिजनों को किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं हो।"
मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना एम्स पहुंचने में किसी को दिक्कत नहीं हो, इसके लिये एलिवेटेड सड़क बनवाई गई है। यहां आने में किसी को कोई परेशानी नहीं हो इसको लेकर सभी तरह की व्यवस्था की जा रही है। पटना एम्स को आगे जो भी जरूरत होगी, राज्य सरकार उसमें सहयोग करेगी।
कार्यक्रम को केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ० भारती प्रवीण पवार, एम्स के अध्यक्ष प्रो० (डॉ०) सुब्रत सिन्हा, कार्यपालक निदेशक प्रो0 (डॉ०) गोपाल कृष्ण पाल ने भी संबोधित किया । इस अवसर पर पाटलिपुत्र के सांसद रामकृपाल यादव, सासाराम के सांसद छेदी पासवान, विधायक गोपाल रविदास समेत अन्य जन प्रतिनिधिगण, मुख्य सचिव आमिर सुबहानी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत भी उपस्थित थे।...////...