23-Mar-2022 05:32 PM
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नयी दिल्ली 23 मार्च (AGENCY) राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार पर घृणा की नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए बुधवार को कहा कि रेल का निजीकरण नहीं, बल्कि इसे मजबूत किया जाना चाहिए जिससे लोगों को रोजगार को मिल सके।
श्री खड़गे ने सदन में ‘रेल मंत्रालय के कार्यकरण पर चर्चा’ में हिस्सा लेते हुए कहा कि सरकार का प्रत्येक कार्य घृणा और चुनावी राजनीति पर आधारित है। सरकार केवल घोषणायें कर रही है और उनका क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तीन साल में मात्र दो ‘वंदे भारत’ रेलगाड़ी शुरु की जा सकेगी और सरकार ने अगले बजट में 400 वंदे भारत रेलगाड़ी चलाने की घोषणा की है।
उन्होंने कहा कि सरकार ‘चार आने की मुर्गी, बारह आने का मसाला’ की नीति पर चल रही है। रेल की आमदनी लगातार घट रही है और परिचालन की लागत बढ़ रही है। इससे प्रबंधन की कुशलता और कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि रेल को मजबूत करने के लिए एकीकृत रेल सेवाओं पर जोर देना चाहिए। रेल को बंदगाहाें, सड़कों और हवाई अड्डों से जोड़ा जाना चाहिए।
रेल के निजीकरण का विरोध करते हुए श्री खड़गे ने कहा कि रेल आम आदमी के लिए हैं और यह आम जनता के लिए आवागमन का प्रमुख साधन है। सरकार को इसपर गंभीरता से सोचना चाहिए और इसे मजबूत करने के कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि रेलवे स्टेशनों काे निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। रेल कर्मचारी चिंतित है और उन्हें अपने भविष्य की चिंता लगी है। सरकार को रेलवे के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शुरु करनी चाहिए और दिहाड़ी और अनुबंध पर काम करने वाले कर्मचारियों को स्थायी करना चाहिए। इससे ये कर्मचारी सम्मान के साथ जीवनयापन कर सकेंगे।
श्री खड़गे ने कहा कि रेलवे में कर्मचारियों की संख्या 12 लाख रह गयी है जिनमें से 9.67 लाख स्थायी कर्मचारी हैं। इसके अलावा 3.18 कर्मचारी अनुबंध पर या दिहाड़ी पर काम करते हैं। रेलवे में 2.65 लाख पद रिक्त पड़े हैं। सरकार को इन पदों को तुरंत भरना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों से कर्मचारियों की संख्या कम हो रही है। इस कारण अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के लोगों को नौकरियों के अवसर घट गये हैें।
उन्होंने रेल बजट का समावेश आम बजट में करने पर सवाल उठाते हुए कहा कि पूरा घोषणायें और कार्यक्रम तथा योजनायें घृणा और चुनावी राजनीति पर आधारित हैं। सरकार का पूरा ध्यान नाम बदलने और ‘अपने लोगों’ को लाभ पहुंचाने पर हैं। आम बजट पूरी तरह से अस्पष्ट हैं और सरकार का पूरा ध्यान पीएम गति शक्ति पर हैं। सरकार रेल प्रणाली में सुधार नहीं कर रही है। श्री खड़गे ने कहा कि रेल का निजीकरण पर गरीबों पर बुरा असर पड़ेगा। सरकार को इससे हर हालत से बचना चाहिए।...////...