रूमानी गीतों से दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी हसरत जयपुरी ने
16-Sep-2021 04:56 PM 1478
पुण्यतिथि 17 सितंबर के अवसर परमुंबई, 16 सितंबर (AGENCY) बतौर बस कंडक्टर अपने करियर की शुरूआत करने वाले हसरत जयपुरी ने अपने रचित रूमानी गीतों के जरिये श्रोताओं के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी। 15 अप्रैल 1922 को जन्में हसरत जयपुरी .मूल नाम इकबाल हुसैन. ने जयपुर में प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद अपने दादा फिदा हुसैन से उर्दू और फारसी की तालीम हासिल की। बीस वर्ष का होने तक उनका झुकाव शेरो.शायरी की तरफ होने लगा और वह छोटी.छोटी कविताएं लिखने लगे।वर्ष 1940 में नौकरी की तलाश में हसरत जयपुरी ने मुम्बई का रूख किया और आजीविका चलाने के लिए वहां बस कंडक्टर के रूप में नौकरी करने लगे। इस काम के लिये उन्हे मात्र 11 रूपये प्रति माह वेतन मिला करता था। इस बीच उन्होंने मुशायरों के कार्यक्रम में भाग लेना शुरू किया। उसी दौरान एक कार्यक्रम में पृथ्वीराज कपूर उनके गीत को सुनकर काफी प्रभावित हुये और उन्होने अपने पुत्र राजकपूर को हसरत जयपुरी से मिलने की सलाह दी।राजकपूर उन दिनों अपनी फिल्म बरसात के लिये गीतकार की तलाश कर रहे थे।उन्होंने हसरत जयपुरी को मिलने का न्योता भेजा। राजकपूर से हसरत जयपुरी की पहली मुलाकात रायल ओपेरा हाउस में हुयी और उन्होने अपनी फिल्म बरसात के लिये उनसे गीत लिखने की गुजारिश की। इसे महज संयोग ही कहा जायेगा कि फिल्म बरसात से ही संगीतकार शंकर-जयकिशन ने भी अपने सिने कैरियर की शुरूआत की थी।...////...
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