सांसद फैजल की दोषसिद्धि निलंबित करने का हाईकोर्ट का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द
22-Aug-2023 04:06 PM 4923
नयी दिल्ली, 22 अगस्त (संवाददाता) उच्चतम न्यायालय ने हत्या के प्रयास के मामले में लक्षद्वीप के लोकसभा सांसद मोहम्मद फैजल की दोषसिद्धि और सजा को निलंबित करने वाले केरल उच्च न्यायालय के आदेश को मंगलवार को रद्द करते हुए फिर से विचार करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने दोषसिद्धि पर रोक के लिए आवेदन पर विचार करने के तरीके के संबंध में कानून की सही स्थिति पर विचार नहीं किया है। इसलिए इसे रद्द किया जाता है। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय इस मामले पर नए सिरे से विचार कर कोई फैसला ले। शीर्ष अदालत ने इस मामले को फिर उच्च न्यायालय के पास भेज दिया। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को छह सप्ताह के लिए आगे बढ़ा दिया, जिससे फैज़ल सांसदी उक्त अवधि तक बरकरार रहेगी। पीठ ने कहा कि चूंकि वह मामले को वापस उच्च न्यायालय में भेज रही है, इसलिए सांसद सीट खाली रखना उचित नहीं होगा। उसने उच्च न्यायालय के आदेश को आगे बढ़ा दिया और छह सप्ताह के भीतर मामले पर फैसला करने को कहा। उच्च न्यायालय ने इस मामले में विचार करते हुए फैज़ल की दोषसिद्धि और सजा को निलंबित होने की स्थिति में नए चुनाव की संभावना और इससे होने वाले भारी खर्चों को ध्यान में रखा था। शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि यह दोषसिद्धि को निलंबित करने का कारक नहीं होना चाहिए। फैज़ल ने बचाव में राहुल गांधी के मामले का हवाला दिया था लेकिन शीर्ष अदालत ने इस तर्क पर विचार नहीं किया। वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने फैज़ल का प्रतिनिधित्व करते हुए शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी कि यदि अदालत उच्च न्यायालय के दृष्टिकोण से सहमत नहीं है तो उन्हें सांसद के रूप में बने रहने की अनुमति देते हुए मामले को उच्च न्यायालय में भेजा जा सकता है। शीर्ष अदालत का आदेश केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के प्रशासन और शिकायतकर्ता द्वारा दायर याचिकाओं पर आया। याचिकाकर्ताओं ने केरल उच्च न्यायालय द्वारा फैज़ल की दोषसिद्धि और सजा को निलंबित करने के 25 जनवरी के आदेश को चुनौती दी थी। लक्षद्वीप के कावारत्ती की एक सत्र न्यायाधीश की अदालत ने 11 जनवरी 2023 को फैज़ल और तीन अन्य को दिवंगत केंद्रीय मंत्री पी एम सईद के दामाद मोहम्मद सलीह की हत्या के प्रयास के लिए 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी और प्रत्येक पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।...////...
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