राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि भोपाल उत्सव मेला व्यापारिक मेला ही नहीं है, बल्कि देश की संस्कृति साहित्य और कला को जन-जन तक पहुंचाने का माध्यम बना है। मेले की देश, प्रदेश में विशिष्ट पहचान बनी है। उन्होंने मेले की सफलता के लिए मेले से जुड़े सभी हितधारकों आयोजकों और भोपाल के निवासियों को बधाई दी है। राज्यपाल श्री पटेल आज भोपाल उत्सव मेला के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि संस्कृति, सभ्यता और आस्था के प्रतीक होते हैं। शहर की सांस्कृतिक विरासत होते हैं। भोपाल उत्सव मेला इसका आदर्श है। उन्होंने मेले के संस्थापक स्वर्गीय रमेश अग्रवाल जी के मेला शुरू करने में योगदान की सराहना करते हुए गुजरात में उनसे मुलाकात के प्रसंगों का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में परिवार के साथ आत्मीय आनंद और सुकून के पल बिताने का अवसर देने में मेलों का महत्वपूर्ण योगदान है। वास्तव में मेले सामुदायिक एकता और पारस्परिक संवाद के केंद्र होते हैं, जहां बिना किसी भेदभाव के अमीर गरीब शहरी ग्रामीण बच्चे युवा और बुजुर्ग मिलकर व्यंजनों का आनंद लेते हैं। मनोरंजक गतिविधियों में भाग लेते हैं। उन्होंने कहा कि मेले आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देते हैं मेले के मनोरंजन झूले प्रदर्शनी व्यंजन के स्टॉल के साथ विविध उत्पादों का आकर्षक तरीके से प्रदर्शन और ऑफर ग्राहक को खरीदारी के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने मेले में व्यापारिक व्यावसायिक गतिविधियों के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कलाकारों, साहित्यकारों और कवियों को प्रतिभा प्रदर्शन का अवसर देने के लिए मेला समिति की सराहना की।