सुबनसिरी निचली परियोजना का दौरा किया आर. के. सिंह ने काम समय से पूरा करने का दिया निर्देश
28-Nov-2023 02:36 PM 11000
नयी दिल्ली, 28 नवंबर (संवाददाता) केंद्रीय बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर. के. सिंह ने अरुणाचल प्रदेश एवं असम में स्थित 2000 मेगावाट क्षमता वाली सुबनसिरी निचली पनबिजली परियोजना के निर्माण कार्य को समय से पूरा करने के लिए अधिकारियों को पूरे उत्साह से काम करने का निर्देश दिया है। बिजली मंत्रालय की ओर से बुधवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने मंगलवार को दिन भर के दौरे में सुबनसिरी परियोजना निर्माण स्‍थल अर्थात्बांध और असम के गेरूकामुख में डायवर्जन सुरंग का निरीक्षण किया। श्री सिंह ने वहां अधिकारियों के साथ परियोजना कार्य पर एक समीक्षा बैठक की जिसमें उन्हें परियोजना की चुनौतियों का समाधान करने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों के बारे में जानकारी दी गई। विज्ञप्ति के अनुसार एनएचपीसी के अधिकारियों और प्रमुख कार्यों के ठेकेदारों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए श्री सिंह ने सभी को परियोजना को निर्धारित समय पर पूरा करने के लिए अधिक उत्साह के साथ काम करने का निर्देश दिया। परियोजना की समीक्षा पर संतोष व्यक्त करते हुए उन्होंने वहां मीडिया प्रतिनिधियों से कहा , “मैंने सभी विवरणों पर गौर किया और मेरा मानना है कि कुल मिलाकर, परियोजना उसी तरह आगे बढ़ रही है जैसी उसे होनी चाहिए।” सुबनसिरी निचली पनबिजली परियोजना के दौरे में केन्‍द्रीय मंत्री के साथ केंद्रीय ऊर्जा सचिव श्री पंकज अग्रवाल, एनएचपीसी के सीएमडी आर.के. विश्नोई, ऊर्जा मंत्रालय में संयुक्त सचिव (हाइड्रो) श्री मोहम्मद अफ़ज़ल, एनएचपीसी के निदेशक (परियोजनाएं) श्री विश्वजीत बसु, एनएचपीसी के निदेशक (तकनीकी) श्री आर के चौधरी, और सुबनसिरी निचली प्रोजेक्ट के एचओपी राजेंद्र प्रसाद में भी थे। उन्होंने कहा, “अरुणाचल में पनबिजली की 13 नयी परियोजनाओं की स्थापना होनी है जिनकी स्थापित क्षमता 13,000 मेगावाट होने वाली है, जिससे प्रति व्यक्ति आय चार गुना हो जाएगी।” श्री सिंह ने कहा कि सुबनसिरी के अलावा अरुणाचल प्रदेश सरकार ने 13 परियोजनाओं के लिए केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनकी पनबिजली क्षमता 13,000 मेगावाट होगी। उन्होंने कहा, “इन परियोजनाओं से राज्‍य में लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपये का निवेश आएगा, जिससे राज्य में प्रति व्यक्ति आय चार गुना हो जाएगी और देश को स्वच्छ ऊर्जा मिलेगी।” श्री सिंह ने बताया कि इसी प्रकार, जम्मू और कश्मीर में पांच पनबिजली परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं, इस तरह जम्मू-कश्मीर में भी हमारी पनबिजली क्षमता आगे बढ़ रही है और बहुत सारा निवेश आ रहा है। उन्‍होंने कहा कि आज हमारी पनबिजली क्षमता 47,000 मेगावाट है, जो हमारी उपलब्ध पनबिजली संभावनाओं का 35 प्रतिशत है, जबकि विकसित देशों ने अपनी उपलब्ध पनबिजली क्षमता का लगभग 70-80 प्रतिशत उपयोग किया है। उन्‍होंने कहा कि बिजली की हमारी मांग पिछले वर्ष की तुलना में अगस्त, सितंबर और अक्टूबर 2023 में 20 प्रतिशत बढ़ी। बिजली की मांग इसी दर से बढ़ती रहेगी, क्योंकि नीति आयोग के अनुसार, हमारी अर्थव्यवस्था अगले दो दशकों तक 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ती रहेगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में बिजली की अधिकतम मांग लगभग 1.35 लाख मेगावाट थी, जबकि आज यह लगभग 2.31 लाख मेगावाट है। वर्ष 2030 तक मांग दोगुनी हो जाएगी। आज हमारी कुल खपत 1,600 अरब यूनिट है, जो इस दशक के अंत तक करीब 3,000 अरब यूनिट हो जायेगी। उन्होंने कहा कि यूरोप की प्रति व्यक्ति बिजली खपत आज हमसे लगभग तीन गुना अधिक है। इसलिए हमारी चुनौती बिजली मांग में बढ़ोतरी के बराबर तेजी से बिजली क्षमता बढ़ाने की है। उन्‍होंने कहा कि सरकार ने पिछले साढ़े नौ वर्षों में 1.9 लाख मेगावाट की बिजली क्षमता बढा़ई है। अब हमारे पास पर्याप्त बिजली है और हम बांग्लादेश तथा नेपाल जैसे पड़ोसी देशों को भी बिजली निर्यात कर रहे हैं। उन्होंने कहा, नवीकरणीय ऊर्जा में हमारी निर्माणाधीन क्षमता लगभग 70,000 मेगावाट है, जबकि तापीय ऊर्जा में यह 27,000 मेगावाट है। हालांकि, हम निर्माणाधीन तापीय क्षमता में 53,000 मेगावाट और जोड़ने जा रहे हैं ताकि हम 2030 की बिजली मांग को पूरा करने में सक्षम हो सकें। उन्‍होंने कहा कि कुल मिलाकर जो भी राज्य हमसे बिजली मांगता है, हम उन्हें बिजली मुहैया करा रहे हैं और आगे भी मुहैया कराते रहेंगे।...////...
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