01-Jun-2022 10:41 PM
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नयी दिल्ली, 01 जून (AGENCY) उच्चतम न्यायालय ने विशाखापत्तनम में समुद्र तट से सटे रुशिकोंडा हिल्स में निर्माण पर रोक लगाने संबंधी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश को बुधवार को रद्द कर दिया।
न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की अवकाशकालीन पीठ ने एनजीटी का आदेश रद्द करते हुए हालांकि यह भी कहा कि विकास आवश्यक है, लेकिन पर्यावरण की रक्षा करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय और एनजीटी के विरोधाभासी निर्देश की स्थिति में उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश मान्य होंगे होंगे।
पीठ ने कहा, "ऐसे मामले में संवैधानिक अदालत के आदेश ट्रिब्यूनल के आदेशों पर प्रभावी होंगे।"
सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई के दौरान यह कहा कि विकास और पर्यावरण के मुद्दों के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है। आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रदूषण मुक्त वातावरण सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
शीर्ष अदालत आंध्र प्रदेश सरकार की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एनजीटी के आदेश को चुनौती दी गई थी। एनजीटी ने मई में विशाखापत्तनम के रुशिकोंडा हिल्स में एक पर्यटन परियोजना के निर्माण कार्यों पर रोक लगाने का आदेश पारित किया था।
पीठ ने कहा कि चूंकि उच्च न्यायालय ने निर्माण की अनुमति दी थी, इसलिए विकास और पर्यावरण के मुद्दों के बीच संतुलन कायम करते हुए इस मामले में फैसला लेना उसके लिए उचित होगा।
शीर्ष अदालत ने सांसद के. रघु रामकृष्ण राजू के वकील एडवोकेट बालाजी श्रीनिवासन ने तर्क दिया कि पहाड़ियों को काट कर रिसॉर्ट्स निर्माण जारी रखा गया तो यहां पहाड़ियों का अस्तित्व खत्म हो सकता है। इस पर पीठ ने पक्षकारों को मामले में उच्च न्यायालय के समक्ष गुहार लगाने की अनुमति दी।
पीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि जब तक उच्च न्यायालय इस मुद्दे पर फैसला नहीं लेता, तब तक केवल समतल क्षेत्रों और उस क्षेत्र में निर्माण की अनुमति दी जाएगी, जहां पहले निर्माण हुआ था। यह भी कहा कि पहाड़ियों से खुदाई वाले क्षेत्रों पर कोई निर्माण नहीं किया जाएगा। पक्षकार उन मुद्दों को उठाने के लिए स्वतंत्र हैं, जिन पर कानून के अनुसार उच्च न्यायालय द्वारा विचार किया जाएगा।
सांसद राजू की याचिका पर ट्रिब्यूनल ने अपना फैसला सुनाया था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि शहरी विकास विभाग द्वारा अधिसूचित मास्टर प्लान का उल्लंघन किया गया।...////...