स्वास्थ्य सेवा में वैश्विक मानक पूरा करने के लिए सार्वजनिक-निजी तालमेल आवश्यक : सिंह
07-Oct-2023 06:43 PM 8431
नयी दिल्ली 07 अक्टूबर (संवाददाता) केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शनिवार को कहा कि भारत जीवन रक्षक उच्च जोखिम वाले चिकित्सा उपकरणों का निर्माण कर रहा है, लेकिन इनकी लागत दूसरों के मुकाबले बहुत कम है। डा. सिंह यहां कंसोर्टियम ऑफ एक्रेडिटिड हेल्थकेयर (सीएएचओ) के 8वें काहोटेक, वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा प्रौद्योगिकी सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि तकनीक वाले चिकित्सा उपकरणों के लिए वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत बहुत कम लागत पर दुनिया के शीर्ष पांच स्वास्थ्य सेवा निर्माताओं में से एक के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा उपकरणों को देश के एक उभरता क्षेत्र माना जाता है और सरकार इनका विनिर्माण केन्द्र बनाने के लिए हर संभव कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि भारत चिकित्सा प्रौद्योगिकी और उपकरणों का वैश्विक केंद्र बनने के लिए तैयार है। इसका वर्तमान बाजार आकार 11 अरब डॉलर है, जिसके वर्ष 2050 तक बढ़कर 50 अरब डॉलर हो जाने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि 1.5 प्रतिशत की बाजार हिस्सेदारी से अगले 25 साल में भारत की यह बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 10-12 प्रतिशत हो जाएगी। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश राज्यों में चार चिकित्सा उपकरण पार्कों की स्थापना करने में सहायता प्रदान कर रही है। चिकित्सा उपकरणों के लिए पीएलआई योजना के तहत, अब तक, 1,206 करोड़ रुपये के प्रतिबद्ध निवेश के साथ कुल 26 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है और इसमें से अब तक 714 करोड़ रुपये का निवेश हासिल कर लिया गया है। इन 26 परियोजनाओं में से 14 परियोजनाएं, 37 उत्पादों का उत्पादन शुरु हो गया है और उच्च चिकित्सा उपकरणों का घरेलू विनिर्माण शुरू हो गया है जिसमें लाइनर एक्सीलेटर एमआरआई, स्कैन, सीटी-स्कैन, मैमोग्राम, सी-आर्म, एमआरआई कॉइल्स, हाई एंड एक्स-रे ट्यूब आदि शामिल हैं।...////...
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