08-Nov-2021 06:45 AM
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हमारे देश में देवी-देवताओं से जुड़े हजारों-लाखों मंदिर हैं, जिनसे जुड़े ऐसे अद्भुत रहस्य है जो इन मंदिरों को बेहद खास बनाते हैं। आज हम ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। दरअसल हम बात कर रहे हैं बेगलुरु से लगभग 156 कि.मी दूर सि्थित मांड्या जिले के कस्बे में स्थित धार्मिक स्थल की। कहा जाता इस कस्बे की सांस्कृतिक झलक विरासत में रामायण से लेकर महाभारत तक में स्पष्ट है। धार्मिक मान्यता है कि त्रेता युग में श्री राम ने वनवास के दौरान इस स्थान पर आए थे, जिसका सबूत है यहां मौजूद श्री राम क पदचिह्न और उनके द्वारा बनाया गया पानी का स्रोत। इतना ही नहीं इस स्थान में का उल्लेख महाभारत काल में भी किया गया है, कहा जाता है महाभारत काल में बलराम आए तथा इसके बाद 11वीं सदी में रामानुजाचार्य के रहने के किस्से भी समाज में प्रचलित है।
लोक मत के अनुसार इस शहर को दक्षिण बद्री के नाम से भी जाना जाता है, तथा इसे मंदिरों का शहर भी कहते हैं। इस शहर के छोर पर चेलुवनारायण स्वामी मंदिर स्थित है, जिसे ग्यारहवीं सदी का माना जाता है। तो वहीं दूसरे, दक्षिणी छोर पर धनुष्कोटि है, जहां भगवान श्री राम के पद चिह्न हैं। ऐसी कथाएं हैं कि वनवास के दिनों में श्री राम यहां सीता और लक्ष्मण के साथ आए थे। तो वहीं स्थानीय लोग बताते हैं कि धनुष्कोटि में पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित जल स्रोत रहस्यमय है। इसे सदानीरा भी कहा जाता है, अर्थात जिसका पानी कभी खत्म नहीं होता। ये भी कहा जाता है कि इससे निकला पानी नीचे बहते हुए स्वाद बदलता रहता है। कहीं खारा तो कहीं... मीठा। लोक मान्यता है यह परिवर्तन आसुरी और दैवीय गुणों का प्रतिनिधित्व है।
पानी के इसे सोते से जुड़ी एक दिलचस्प लोक मान्यता ये भी है कि वनवास काल के दौरान जब श्री राम, सीता और लक्ष्मण जी यहां आए थे तो सीता जी को बहुत तेज प्यास लगी। परंतु आसपास कहीं पानी नहीं था। इसलिए लक्ष्मण जी ने पहाड़ पर बाण चलाकर पानी निकालने की कोशिश की, लेकिन पानी नहीं निकला। तब श्री राम ने चट्टान पर बाण चलाया तो पानी का सोता फूट पड़ा। तब सीता माता, जो देवी लक्ष्मी का ही अवतार थीं, ने कहा कि पानी का यह स्रोत कभी सूखना नहीं चाहिए, सदैव एक व्यक्ति की प्यास बुझाने लायक पानी यहां रहना चाहिए। कहा जाता है यही कारण है ये पानी का स्रोत कभी नहीं सूखा। एक जनश्रुति के अनुसार भगवान राम यहां अपने बेटों लव और कुश के साथ भी आए थे।
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