दो हजार साल पुराना कुषाणकालीन स्तूप और 13वीं शताब्दी का शिवलिंग मिला
27-Aug-2021 10:15 AM 9007
गोरखपुर । पुरातत्व विभाग के सर्वे में गोरखपुर के चैरी चैरा के गोरसैरा गांव में दा हजार साल पुराना स्तूप और 13वीं शताब्दी की मूर्तियां मिली हैं। क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी नरसिंह त्यागी व उनकी टीम ने बुधवार को सपा नेता कालीशंकर के साथ गोरसैरा, उपधौलिया, राजधानी व बसुही गांव में पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व के अवशेषों का सर्वे किया। सर्वे के पश्चात क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी ने बताया कि गोरसैरा स्थित स्तूप से प्राप्त पकी हुई ईंटों के अवशेषों के आधार पर यह टीला कुषाण कालीन है। जो लगभग आज से दो हजार वर्ष से अधिक का स्तूप है। उसे प्रमाणिक अभिलेखों के आधार पर कहा जा सकता है कि यह वही भगवान बुद्ध का प्रसिद्ध स्तूप का अवशेष है जिसमें बुद्ध की चिता की लकड़ी की राख को रखा गया था। कालांतर में तेरहवीं शताब्दी ईस्वी सन के आसपास इस स्तूप के ऊपर शिव मंदिर का निर्माण करा दिया गया। शिव मंदिर के गर्भ गृह में लाल बलुवे प्रस्तर पर निर्मित शिवलिंग स्थित है, जो लगभग 700 वर्ष प्राचीन है। इस मंदिर के देव कुलिका में प्राचीन खंडित मूर्तियों का पृष्ठ भाग व स्थानक त्रिभंग मुद्रा में कार्तिकेय के वाहन सहित मूर्ति है। यह मूर्ति भी तेरहवीं शताब्दी ईस्वी सन की है। स्तूप के समीप लगभग 500 मीटर पर एक अन्य स्तूप बना है। जो अपेक्षाकृत छोटा है। इस स्तूप पर भी लाल बलुए प्रस्तर पर निर्मित शिवलिंग स्थापित किया। यह भी लगभग 13वीं शताब्दी का है। शिवलिंग के पास पक्की ईंटों की दीवार के अवशेष विद्यमान हैं। ईंटों के आकार-प्रकार के आधार पर यह कुषाण काल का है। गोर्रा नदी के बाएं किनारे पर खुले आसमान में लाल बलुआ पत्थर पर निर्मित दोस्ती वर्गा व एक शिवलिंग स्थापित है। यह भी तेरहवीं शताब्दी का है। Uttar Pradesh..///..two-thousand-years-old-kushan-period-stupa-and-13th-century-shivling-found-313521
© 2025 - All Rights Reserved - Youth18 | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^