वास्तविक परिवर्तन राजनीति से नहीं समाज में जगरूकता से संभव : विकास वैभव
22-Mar-2025 10:31 PM 5796
पटना 22 मार्च (संवाददाता) समाज को जागरूक बनाकर बिहार को विकास की बुलंदियों तक पहुंचाने को संकल्पित भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी और ‘लेट्स इंस्पायर बिहार’ (एसआईबी) के संरक्षक विकास वैभव ने आज कहा कि वास्तविक परिवर्तन राजनीति से नहीं बल्कि समाज में जागरूकता लाने से ही संभव है। श्री वैभव ने शनिवार को यहां बापू सभागार में एलआईबी के चौथे स्थापना दिवस पर आयोजित ‘विकसित बिहार संकल्प महासभा’ को संबोधित करते हुए कहा, “कई लोग मुझसे पूछते हैं कि मैं राजनीति में क्यों नहीं जाता। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भी मेरी राजनीतिक मंशा को लेकर कई सवाल उठे थे लेकिन मैं शुरू से ही अपने दृष्टिकोण और सोच में स्पष्ट रहा हूं। मैं उन्हें यही जवाब देता हूं कि यदि राजनीति से बदलाव संभव होता तो मैं सबसे पहले उसमें प्रवेश करता। लेकिन, मैं जानता हूं कि वास्तविक परिवर्तन राजनीति से नहीं बल्कि समाज में जागरूकता लाने से आएगा।” एलआईबी संरक्षक ने कहा कि इस परिवर्तन को लाने के लिए हमें शिक्षा, उद्यमिता और समता के क्षेत्र में ठोस कार्य करने होंगे। हमें जाति, धर्म और विचारधारा की संकीर्णता से ऊपर उठकर सोचना होगा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के लिए जातिगत राजनीति करना एक मजबूरी हो सकती है लेकिन उनके लिए नहीं। हमें इन बाधाओं से ऊपर उठकर बिहार की प्रगति के लिए प्रयास करना चाहिए। उन्होंने अफसोस जताया कि "आज 'बिहारी' शब्द उपहास और अपमान का प्रतीक बन चुका है। यह चुनौती आसान नहीं है लेकिन हमारे सामूहिक संकल्प से हम इस स्थिति को बदल सकते हैं। श्री वैभव ने हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि बिहार की प्रति व्यक्ति मासिक आय 5028 रुपये है, जो भारत के सभी राज्यों में सबसे कम है। वहीं, सिक्किम की प्रति व्यक्ति मासिक आय 48 हजार रुपये और तमिलनाडु की 32 हजार रुपये है। उन्होंने समझाया कि बिहार की वर्तमान वार्षिक विकास दर 14.5 प्रतिशत है। यदि यही गति बनी रही, तो अगले दस वर्षों में बिहार की प्रति व्यक्ति आय केवल 20 हजार रुपये तक पहुंच पाएगी। उन्होंने सभा से सवाल किया, “क्या आप बिहार को इतनी धीमी गति से आगे बढ़ते देखना चाहते हैं। क्या हम इस रफ्तार से बिहार का विकास कर पाएंगे। आईपीएस अधिकारी ने कहा कि बिहार अब टेक-ऑफ की स्थिति में है। यह समय है जब राज्य को एक ऊंची उड़ान भरनी चाहिए। यदि सब मिलकर इसके विकास में योगदान देने का सामूहिक संकल्प लें, तो अब इसे कोई रोक नहीं सकता। उन्होंने लेट्स इंस्पायर बिहार के ‘गार्गी चैप्टर’ द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे उत्कृष्ट कार्यों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि बिहार के विभिन्न जिलों में 24 शिक्षा केंद्र चल रहे हैं, जिनमें से 19 केंद्र महिलाओं द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। जिस गति से महिलाएं इस अभियान से जुड़ रही हैं, वह अत्यंत उत्साहजनक है। श्री वैभव ने कहा कि यह पूरे लेट्स इंस्पायर बिहार परिवार के लिए गर्व का क्षण है, जो बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और गौरवशाली इतिहास की संभावनाओं के आधार पर लोगों को प्रेरित करने के उद्देश्य और मिशन के साथ शुरू हुआ था। आज तक इस अभियान से करीब दो लाख लोग जुड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि करीब तीन महीने पहले, दिल्ली के भारत मंडपम में लेट्स इंस्पायर बिहार अभियान का एक बड़ा आयोजन हुआ था, जिसकी गूंज पूरे देश में सुनाई दी। उस आयोजन में उन्होंने बिहार के विकास के लिए एक विस्तृत रोडमैप प्रस्तुत किया था। आज जब वह भारत मंडपम के बाद बापू सभागार को हजारों प्रतिबद्ध व्यक्तियों से खचाखच भरा हुआ देखते हैं तो उनका हृदय आशा से भर जाता है। एलआईबी के संरक्षक ने कहा, “अब मैं पूरे विश्वास से कह सकता हूं कि बिहार में एक नई क्रांति जन्म ले चुकी है, जिसका बीजारोपण हो चुका है। यह क्रांति देश में अब तक हुई अन्य क्रांतियों से अलग है। वर्ष 1857 की क्रांति स्वतंत्रता के लिए थी, वर्ष 1975 की क्रांति समाज में व्यवस्था परिवर्तन के लिए थी लेकिन यह क्रांति शिक्षा, उद्यमिता और समता के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस अभियान का कोई राजनीतिक उद्देश्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नहीं है। इसका लक्ष्य भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है, जो बिहार के विकास के बिना संभव नहीं है। इसलिए, 'बिहार के विकास के माध्यम से भारत का विकास' इस आंदोलन का मूल मंत्र है। श्री वैभव ने कहा कि जब इस अभियान की शुरुआत हुई थी तो उन्हें भी इसकी सफलता को लेकर थोड़ी आशंका थी लेकिन आज इस आंदोलन के तहत पूरे देश में और विशेष रूप से बिहार के हर जिले में 2000 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं। उन्होंने सभा को प्रेरित करते हुए कहा कि यह यात्रा लंबी होगी। आप सभी को धैर्य रखना होगा और साहस, ईमानदारी, जुनून और दृढ़ता के साथ काम करना होगा।" आईपीएस अधिकारी ने कहा, “मैंने बिहार में कई बुरी चीजें देखी हैं, जिनमें पेपर लीक और जबरन शादी जैसी घटनाएं शामिल हैं। मेरे पिताजी हमेशा मुझे छुट्टियों में घर न आने की सलाह देते थे क्योंकि उन्हें डर था कि मुझे भी पकरउआ विवाह के लिए मजबूर किया जा सकता है। इसी छुट्टी के दौरान, जब मैं आईआईटी कानपुर में था तो मैंने अपने प्राचीन दर्शन को पढ़ा और हमारे पूर्वजों की दृष्टि और उनके सपनों को जाना। तब मुझे एहसास हुआ कि हम क्या थे और अब क्या बन गए हैं। हमारे अतीत और वर्तमान की दृष्टि के बीच की विशाल खाई को देखकर मुझे अपार पीड़ा हुई। इसी दयनीय स्थिति के कारण मेरे पिताजी ने मुझे आईपीएस में जाने और बिहार में काम करने से मना किया था। वे चाहते थे कि मैं विदेश चला जाऊँ, लेकिन मैं बिहार में बदलाव लाने के लिए संकल्पित था और अभी तक अपनी पूरी क्षमता से प्रयास कर रहा हूं। श्री वैभव ने कहा कि पिछले चार वर्षों से अपने परिवार और बाकी सब कुछ छोड़कर वह बिहार के गांवों और शहरों में घूम रहे हैं बल्कि सिर्फ बिहार ही नहीं, पूरे देश में जाकर बिहारी प्रवासियों को संबोधित कर रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि बदलाव लाना आसान नहीं होता, उसके लिए बलिदान देना पड़ता है और वह यह बलिदान बिहार राज्य और आने वाली पीढ़ियों के लिए दे रहे हैं क्योंकि पूरा बिहार उनका परिवार है। एलआईबी के संरक्षक ने भावुक होकर दो साल पहले उनके जीवन के एक कठिन घड़ी के बारे में बताया कि उन्हें चार महीने तक "वेटिंग फॉर पोस्टिंग" में रखा गया था और इस दौरान उन्हें एक भी महीने की तनख्वाह नहीं मिली। इससे उन्हें वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा, तब उनके पिताजी ने उनकी मदद की और दो लाख रुपये दिए, जिससे वे होम लोन का ईएमआई चुका सके। उन्होंने सभी को अपना निजी नंबर भी दिया और आग्रह किया कि अधिक से अधिक लोगों को इस अभियान से जोड़ा जाए। श्री वैभव ने सभी से 'जन-जन का अभियान' बनाने की अपील की और बताया कि इस अभियान का सपना है कि वर्ष 2028 के अंत तक बिहार के प्रत्येक जिले में पांच स्टार्टअप स्थापित किए जाएं। इनमें से दो स्टार्टअप पहले ही कार्य करना शुरू कर चुके हैं-एक सारण में और दूसरा बेगूसराय में। उन्होंने श्रोताओं को समझाया कि नौ करोड़ लोगों को रोजगार देना उद्यमिता क्रांति के बिना संभव नहीं है। उन्होंने 'सखी बहिनपा' संगठन का भी उल्लेख किया, जो 40 हजार से अधिक महिला सदस्यों के साथ "लेट्स इंस्पायर बिहार" अभियान से जुड़कर राज्य की प्रगति में योगदान दे रहा है। एलआईबी संरक्षक ने हाल ही की एक घटना भी साझा की, जब सोशल मीडिया पर किसी व्यक्ति ने उनकी जाति को आधार बनाकर अन्य लोगों को इससे जुड़ने के लिए हतोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि शुरुआत में इस टिप्पणी को पढ़कर वे दुखी हुए, लेकिन जब उन्होंने अन्य प्रतिक्रियाएं देखीं तो पाया कि कई लोगों ने उस व्यक्ति की जहरीली मानसिकता की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इस तरह की संकीर्ण मानसिकता के खिलाफ उठने वाली यह आवाज ही 'लेट्स इंस्पायर बिहार' अभियान की सबसे बड़ी विजय है। उन्होंने यह भी कहा कि प्राचीन समाज में जाति थी लेकिन ऐसी घातक जातिवाद की भावना नहीं थी। यदि ऐसा होता तो मगध साम्राज्य में नंद वंश का उदय नहीं होता, जिन्हें समाज के सबसे निम्न वर्ग का माना जाता था। श्री वैभव ने जोर देकर कहा कि हर जाति में ईमानदार और समर्पित लोग हैं। वे समाज के हर तबके में मौजूद हैं और वे इस अभियान से जुड़ रहे हैं क्योंकि वे अपने जीवनकाल में बिहार को विकसित होते देखना चाहते हैं। उन्होंने श्रोताओं से मिथिला की गौरवशाली विरासत को याद रखने का आग्रह किया, जहां महर्षि याज्ञवल्क्य और गार्गी जैसी विभूतियां हुईं। चंपारण की, जहां महर्षि वाल्मीकि हुए और जिसने महात्मा गांधी को वह बनाया जिसके लिए आज पूरा विश्व उन्हें जानता है। सारण की, जहां डॉ. राजेंद्र प्रसाद हुए; और अंगभूमि की, जहां एक आचार्य को आमंत्रित करने के लिए पूरे तिब्बत ने स्वर्णदान किया था। इस मैके पर पूर्व राज्यसभा सांसद एवं गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय, रोहतास के कुलपति गोपाल नारायण सिंह, आध्यात्मिक गुरू परमहंस स्वामी अगमानंद जी महाराज, प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमाएल अहमद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पर्यवेक्षी पुरातत्वविद सुजीत नयन, शिक्षाविद् बी. के. सुधर्शन, आध्यात्मिक गुरू स्वामी संजय जी, लंदन के उद्यमी प्रशांत कुमार, पसमांदा मुस्लिम महाज के राष्ट्रीय महासचिव मो. कमरुद्दीन अंसारी, एलआईबी के गार्गी अध्याय की मुख्य सम्न्वयक डॉ. प्रीति बाला, ओमिका दुबे, प्रबंध भागीदार, जियाका कैपिटल, विधायक वीरेंद्र पासवान और मुख्य समन्वयक राहुल कुमार सिंह समेत कई गणमान्य व्यक्ति एवं दस हजार से अधिक लोग उपस्थित थे।...////...
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