05-May-2025 10:55 PM
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सिरसी 05 मई (संवाददाता) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को कहा कि भारत की प्राचीन सभ्यता और वैदिक संस्कृति ने लंबे समय से टिकाऊ जीवन शैली का समर्थन किया है। यह ज्ञान आधुनिक पारिस्थितिक चुनौतियों का समाधान करने की कुंजी है।
राष्ट्र निर्माण में वानिकी की भूमिका पर एक विशेष कार्यक्रम के दौरान वानिकी महाविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा “ यह भूमि आध्यात्मिकता और स्थिरता का संगम है। स्थिरता केवल अर्थव्यवस्था के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं है - यह स्वस्थ जीवन के लिए भी महत्वपूर्ण है। हमारी वैदिक संस्कृति ने हजारों वर्षों से स्थिरता का उपदेश दिया है।”
प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के खिलाफ चेतावनी देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा “ स्थायी विकास का कोई विकल्प नहीं है।”
उन्होंने उपभोग-संचालित प्रथाओं से पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार प्रबंधन की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया।
गहन पारिस्थितिक चेतना का आह्वान करते हुए श्री धनखड़ ने घोषणा की “ हम धरती माता के उपभोक्ता नहीं, बल्कि ट्रस्टी हैं। हम इसे भावी पीढ़ियों तक पहुँचाने के लिए बाध्य हैं।”
जलवायु परिवर्तन की गंभीरता पर जोर देते हुए उन्होंने चेतावनी दी कि यह संकट खतरनाक रूप से चट्टान की तरह लटक रहा है और मानवता के पास धरती माता के अलावा रहने के लिए कोई दूसरा ग्रह नहीं है।
वनों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि वे सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण संतुलन के लिए अपरिहार्य हैं।
उन्होंने कहा “ यदि किसी देश के वन अच्छी स्थिति में हैं, तो उसके लोग अच्छे स्वास्थ्य का आनंद लेंगे।”
उन्होंने कहा कि कृषि देश की जीवन रेखा है, लेकिन वन जलवायु को नियंत्रित करते हैं, आपदाओं को रोकते हैं और गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों की आजीविका का समर्थन करते हैं।
पर्यावरण क्षरण के सभी रूपों को प्रभावित करने की चेतावनी देते हुए श्री धनखड़ ने कहा “ आज हम एक महत्वपूर्ण परीक्षा का सामना कर रहे हैं: पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण करना, और सामने आ रहे गंभीर संकट को दूर करने के तरीके खोजना।”
उन्होंने अंतःविषय शिक्षा की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा “ हमें सीखने के लिए एक समावेशी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। चिकित्सा, इंजीनियरिंग, प्रबंधन, पर्यावरण और वन शिक्षा अब अलग-अलग नहीं रह सकती।”
छात्रों से जिज्ञासा और नवाचार अपनाने का आग्रह करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा “ आज आप जिस विषय का अध्ययन कर रहे हैं, उसमें उपचार और उत्पादन की कुंजी छिपी है। आप वास्तव में शोध के लिए एक प्रभावी केंद्र बन सकते हैं, खासकर जब बात वन उपज की हो।”
वानिकी महाविद्यालय के प्राकृतिक परिवेश की प्रशंसा करते हुए धनखड़ ने कहा कि पश्चिमी घाट में बसा सिरसी दुनिया के सबसे समृद्ध जैव विविधता वाले क्षेत्रों में से एक है।
उन्होंने कहा “ यहां की कक्षा चार दीवारों तक सीमित नहीं है-यह उनसे आगे तक फैली हुई है। यह एक खुली कक्षा है, जो सांस लेती है और जीवन से भरपूर है।”
इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत, विधान परिषद के अध्यक्ष बसवराज एस होरट्टी, जिला प्रभारी मंत्री मंकल एस वैद्य, सांसद विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी और कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड़ के कुलपति डॉ पीएल पाटिल मौजूद रहे।...////...