विधायिका के आचरण से लोग चिंतित-धनखड़
16-Jan-2024 07:38 PM 2400
जयपुर16 जनवरी (संवाददाता) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज के परिदृश्य को चिंता और चिंतन का बताते हुए कहा है कि विधायिका का आचरण देखकर लोग चिंतित हैं। अनुकरणीय आदर्शवादी आचरण जिनका होना चाहिए, उनका आचरण जनता की नजर में कई बार ठीक विपरीत है। श्री धनखड़ मंगलवार को यहां विधानसभा में राजस्थान के नवनिर्वाचित विधायकों के प्रबोधन कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि व्यवधान करने की सेल्फ लाइफ अखबार की कल की सुर्खियां हो सकती है और वह एक सप्ताह तक असर डाल सकती है। उनका प्रभाव ज्यादा दिन तक नहीं रहता है। पर आप बहुत बड़ा शुभ अवसर खो देते हो। जब सदन चलता नहीं है। सदन ना चलने में सबसे ज्यादा प्रसन्नता अगर किसी को होती है तो सरकार को होती है। सरकार से प्रश्न नहीं पूछ सकते। सरकार को कटघरे में नहीं रख सकते और नुकसान भी सरकार का ही होता है कि सरकार विधायक की योग्यता का फायदा नहीं ले पाती है। उन्होंने कहा कि प्रभावी बात तभी कहीं जा सकती है, प्रभावी बात इतिहास में तभी अंकित हो सकती है जब वह सदन के पटल पर कहीं जाए और इतिहास में जड़ी जाती है। उन्होंने लोकतंत्र को भारत की सबसे बड़ी ताकत बताते हुए कहा कि हमारा लोकतंत्र सबसे पुराना और सबसे प्रभावी है। यहां सत्ता परिवर्तन के अंदर कुछ नहीं होता। यह एक तरीका है जो तय कर देता है अन्य जगह ऐसा नहीं है दुनिया के विकसित देशों में ऐसा नहीं है। जो देश अपने आप को सबसे ज्यादा विकसित मानता है वहां भी सत्ता परिवर्तन आसानी से नहीं होता है। अपने यहां होता है। उपराष्ट्रपति ने भारत को दुनिया के लिए लोकतंत्र की दृष्टि से आदर्शवादी बताते हुए कहा कि हमारी सांस्कृतिक विरासत पांच हजार वर्ष की है जो किसी और देश की नहीं है जो हमारी मजबूती है, वह हमारी कार्यपालिका है। हमारे अधिकारी किस वजह से वहां पहुंचते हैं, वह दुनिया की सबसे मुश्किल परीक्षा पास करते हैं। उनकी चयन प्रक्रिया उनका परीक्षण उनको मजबूती देता है। वह किसी भी काम को हासिल करने में कभी पीछे नहीं रहते और भारत की कार्यपालिका ने दुनिया में दिखा दिया कि यदि कार्यपालिका सही नीति दी जाती है तो नतीजा आश्चर्यजनक होते हैं। उन्होंने कहा कि विकास को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जा सकता और भारत में आज़ादी के बाद संकटमयी स्थिति के अंदर प्रगति ज्यादा की है। उन्होंने कहा कि उस कालखंड में संकट ज्यादा रहा होगा पर आज का भारत जिस स्तर पर है जनप्रतिनिधियों पर बहुत बड़ा उत्तरदायित्व है और उन्हें दिशा देनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि एक छोटी सी बात ले लीजिए। सोशल मीडिया किसी भी सदस्य के बारे में सोशल मीडिया में एक ऐसी भ्रांति फैलाई जा सकती है जो एक बड़ी आग का रूप ले लेगी। इस सदन को तय करना है कि इस प्रकार की व्यवस्था पर अंकुश कैसे लगाये। सार्थकता से हमारे जीवन चलता रहे। हमारे चरित्र हनन का प्रयास न हो और इसे कैसे रोके। उन्होंने कहा कि प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, पक्ष हो या विपक्ष, दोनों तरफ पूर्व मुख्यमंत्री होंगे, अनुभवी नेता होंगे, और सदन एक प्रकार की तरह चलेगा तो राज्य का बहुत बड़ा भला होगा। सत्ता पक्ष को हमेशा ध्यान रखना पड़ेगा कि सामने वाला विरोधी नहीं है। सामने वाला जो बात कहता है, वह जनहित की है। उपराष्ट्रपति ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डा सी पी जोशी की प्रशंसा करते हुए कहा “वह साधुवाद के पात्र हैं। अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने राजनीति से ऊपर उठकर इस सदन में कार्यक्रम आयोजित किये। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल की हैसियत से उन्होंने मुझे यहां बुलाया। फर्क सिर्फ इतना था तब उपस्थिति ज्यादा प्रभावि थी। उपराष्ट्रपति की हसियत से जो उन्होंने मुझे बुलाया और अंतरराष्ट्रीय स्तर का जब कार्यक्रम हुआ तो उदयपुर में उन्होंने बुलाया। मैंने हर बार उनको एक ही बात कही विधानसभा का अध्यक्ष किसी दल से जुड़ा हुआ नहीं है, विधानसभा के अध्यक्ष का पहला कर्तव्य है कि वह प्रति-प्रतिपक्ष का संरक्षण करें।” उन्होंने कहा “कुछ ऐसा वातावरण बन जाता है जब हमें कठोर निर्णय लेने पड़ते हैं पर कहते हैं खीर कितनी अच्छी है खाने से ही पता चलती है और यही कारण है कि पश्चिम बंगाल के जो बहुत बड़ा प्रांत है सांस्कृतिक राजधानी देश की कही जा सकती है वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उपराष्ट्रपति के चुनाव में मेरा विरोध नहीं किया। जब मैंने यह बात यहां कहीं तब उस समय के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि जादूगर तो मैं हूं। आपने कौन सा जादू ममता पर किया था| आप यदि अपने कर्तव्य पर रहेंगे, तो आखिर में नतीजा कभी खराब नहीं होगा।...////...
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